महाराष्ट्र की राजनीति में उस वक्त हलचल मच गई, जब शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच शुक्रवार को विधान भवन में एक 20 मिनट की बंद कमरे में मुलाकात हुई। यह मुलाकात तब हुई, जब हाल ही में फडणवीस ने बीजेपी के साथ गठबंधन का प्रस्ताव देने की बात कही थी।ल
मुलाकात का महत्व
महाराष्ट्र में 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) की गठबंधन सरकार सत्ता में है। हालांकि, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) विपक्ष में बैठी है और लगातार महायुति सरकार पर हमलावर रही है। ऐसे में फडणवीस और ठाकरे की यह मुलाकात कई सवाल खड़े कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, फडणवीस ने हाल ही में एक सार्वजनिक बयान में कहा था कि बीजेपी सभी दलों के साथ बातचीत के लिए तैयार है, और अगर उद्धव ठाकरे गठबंधन के लिए राजी हों, तो इस पर विचार किया जा सकता है। इस बयान के बाद यह मुलाकात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
क्या हुआ मुलाकात में?
हालांकि मुलाकात के बाद न तो उद्धव ठाकरे और न ही देवेंद्र फडणवीस ने इस पर कोई आधिकारिक बयान दिया है, लेकिन सियासी हलकों में चर्चा है कि यह बैठक महाराष्ट्र की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर थी। कुछ सूत्रों का कहना है कि बीजेपी, शिवसेना (यूबीटी) को अपने पाले में लाकर विपक्ष को कमजोर करने की रणनीति बना रही है। वहीं, कुछ का मानना है कि यह मुलाकात केवल औपचारिक थी, जिसमें राज्य के कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई।
एक वरिष्ठ पत्रकार ने बताया, "यह मुलाकात महज संयोग नहीं हो सकती। बीजेपी और शिवसेना के बीच 2019 में गठबंधन टूटने के बाद से दोनों नेताओं के बीच ऐसी कोई लंबी बातचीत सार्वजनिक तौर पर नहीं हुई थी। यह मुलाकात कुछ बड़े सियासी बदलाव का संकेत हो सकती है।"
सियासी हलचल और अटकलें
इस मुलाकात ने न केवल महायुति गठबंधन के सहयोगी दलों, बल्कि विपक्षी दलों में भी खलबली मचा दी है। शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के नेताओं ने इस मुलाकात पर सधे हुए बयान दिए हैं, लेकिन उनकी बेचैनी साफ झलक रही है। एक शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता ने कहा, "हमें इस मुलाकात की जानकारी नहीं है, लेकिन हमें अपनी सरकार पर पूरा भरोसा है।"
वहीं, विपक्षी गठबंधन एमवीए (महा विकास अघाड़ी) में शामिल कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) ने भी इस मुलाकात पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "अगर उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ गठबंधन की सोच रहे हैं, तो यह एमवीए के लिए बड़ा झटका होगा। लेकिन हमें भरोसा है कि उद्धव जी ऐसा नहीं करेंगे।"
उद्धव ठाकरे का रुख
उद्धव ठाकरे ने हमेशा बीजेपी पर हिंदुत्व के मुद्दे पर और 2019 में गठबंधन तोड़ने को लेकर निशाना साधा है। उनकी शिवसेना (यूबीटी) ने हाल के लोकसभा चुनावों में एमवीए के साथ मिलकर अच्छा प्रदर्शन किया था, जिससे उनकी सियासी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उद्धव ठाकरे बीजेपी के साथ किसी तरह का समझौता करने को तैयार होंगे, या यह मुलाकात केवल एक औपचारिक चर्चा थी।
जनता का क्या कहना है
मुंबई और अन्य शहरों में आम लोग भी इस मुलाकात को लेकर चर्चा कर रहे हैं। एक स्थानीय निवासी रमेश पाटिल ने कहा, "महाराष्ट्र की जनता सियासी ड्रामे से तंग आ चुकी है। अगर यह मुलाकात राज्य के हित में कुछ अच्छा लाती है, तो ठीक है, वरना यह सिर्फ सियासी खेल ही लगता है।"
महाराष्ट्र की सियासत में यह मुलाकात एक नए समीकरण की शुरुआत हो सकती है। बीजेपी, जो हमेशा से महाराष्ट्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में रही है, क्या उद्धव ठाकरे को अपने साथ लाने में कामयाब होगी? या फिर यह मुलाकात केवल एक सियासी रणनीति का हिस्सा है? आने वाले दिन इस सवाल का जवाब दे सकते हैं।
फिलहाल, महाराष्ट्र की जनता और सियासी विश्लेषक इस मुलाकात के नतीजों पर नजर बनाए हुए हैं। यह मुलाकात महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखेगी या केवल एक चर्चा बनकर रह जाएगी, यह समय ही बताएगा।