उत्तर प्रदेश में इन दिनों GANGA नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण कई जिलों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। भारी बारिश और हिमालयी क्षेत्रों से आने वाले पानी ने नदी को उफान पर ला दिया है। प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है। यह स्थिति न केवल स्थानीय लोगों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि खेती, मवेशियों और बुनियादी ढांचे के लिए भी बड़ा खतरा बन रही है।
गंगा का उफान: क्यों बढ़ रहा है जलस्तर?
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने का मुख्य कारण इस साल की मॉनसून की भारी बारिश है। मौसम विभाग के अनुसार, जून के मध्य से ही उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे हिमालयी राज्यों में लगातार बारिश हो रही है। इससे गंगा और उसकी सहायक नदियों, जैसे यमुना, घाघरा और शारदा में पानी का प्रवाह बढ़ गया है। इसके अलावा, गंगा के ऊपरी क्षेत्रों में बांधों से पानी छोड़ा जाना भी जलस्तर बढ़ने का एक कारण बना है।
गंगा नदी उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख जिलों से होकर गुजरती है, जिनमें वाराणसी, प्रयागराज, गाजीपुर, बलिया, कानपुर और फर्रुखाबाद शामिल हैं। इन जिलों में नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश का सिलसिला इसी तरह जारी रहा, तो स्थिति और गंभीर हो सकती है। जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "हम लगातार नदी के जलस्तर पर नजर रख रहे हैं। कुछ स्थानों पर पानी बस्तियों के करीब पहुंच चुका है, जिसके कारण हमें मजबूत कदम उठाने पड़ रहे हैं।"
प्रभावित क्षेत्र और जनजीवन पर असर
गंगा के बढ़ते जलस्तर का सबसे ज्यादा असर निचले इलाकों में रहने वाले लोगों पर पड़ रहा है। इन क्षेत्रों में ज्यादातर गरीब और मध्यम वर्ग के लोग रहते हैं, जिनके घर कच्चे होते हैं। वाराणसी के रामनगर और गाजीपुर के गंगा तटवर्ती गांवों में कई परिवारों ने अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर चले गए है।
प्रयागराज में संगम क्षेत्र के आसपास बसे लोगों को भी प्रशासन ने चेतावनी जारी की है। एक स्थानीय निवासी रमेश यादव ने बताया, "हमारा घर नदी के किनारे है। पिछले दो दिनों से पानी घर के पास तक आ गया है। हमें डर है कि अगर बारिश और बढ़ी, तो सब कुछ डूब जाएगा।" इसी तरह, बलिया के कुछ गांवों में खेतों में पानी भर गया है, जिससे धान और गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ है।
किसानों के लिए यह दोहरी मार है। एक तरफ, बारिश ने उनकी फसलों को बर्बाद कर दिया है, और दूसरी तरफ, बाढ़ का खतरा उनके घरों को भी प्रभावित कर रहा है। गाजीपुर के एक किसान, सुरेश पाल, ने कहा, हमारी पूरी फसल पानी में डूब गई। अब न तो कुछ बचा है और न ही हमारे पास पैसे हैं कि हम नया बीज खरीद सकें। सरकार को जल्दी मदद करनी चाहिए।
प्रशासन के कदम: राहत और बचाव कार्य
उत्तर प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कई कदम उठाए हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने प्रभावित जिलों में जहां लोगों को भोजन, पानी और अस्थायी आवास उपलब्ध कराया जा रहा है। वाराणसी, प्रयागराज और बलिया में NDRF की टीमें तैनात की गई हैं, जो नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रही हैं।
प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार ने बताया, "हमने नदी के किनारे बसे गांवों में लोगों को सतर्क किया है।
प्रशासन ने नदी के तटबंधों की मरम्मत और मजबूती पर भी काम शुरू कर दिया है। कई जगहों पर तटबंध कमजोर होने की वजह से पानी गांवों में घुस रहा है। जल संसाधन विभाग की टीमें रात-दिन काम कर रही हैं ताकि तटबंधों को मजबूत किया जा सके और पानी को बस्तियों में घुसने से रोका जा सके।
गंगा नदी में बढ़ता जलस्तर और बाढ़ का खतरा उत्तर प्रदेश के लिए एक बार-बार आने वाली चुनौती है। इस बार की स्थिति ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्या हम इस प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं? सरकार, प्रशासन और समुदाय को मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना होगा।
फिलहाल, राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। लोगों की सुरक्षा और उनकी आजीविका को बचाना प्राथमिकता है। गंगा के किनारे बसे लोग इस उम्मीद में हैं कि यह मुश्किल दौर जल्दी खत्म होगा और वे अपने सामान्य जीवन में लौट सकेंगे।