वडोदरा में गंभीरा पुल टूटने से हुआ बड़ा हादसा: 9 की मौत, कई घायल, यातायात रुका

गुजरात के वडोदरा और आणंद जिले को जोड़ने वाला गंभीरा पुल बुधवार सुबह एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया। महिसागर नदी पर बना यह 43 साल पुराना पुल अचानक बीच से टूट गया, जिसके कारण कई वाहन नदी में जा गिरे। इस भीषण हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। स्थानीय प्रशासन और दमकल विभाग ने तुरंत बचाव अभियान शुरू किया, जिसमें तीन लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर दिया है, बल्कि देश भर में पुराने ढांचों की सुरक्षा को लेकर सवाल भी खड़े कर दिए हैं।


हादसे का भयानक मंजर

घटना सुबह करीब 7:30 बजे की है, जब गंभीरा पुल पर रोजमर्रा की तरह भारी यातायात था। लोगों के अनुसार, पुल अचानक तेज आवाज के साथ टूटा और उसका मध्य हिस्सा महिसागर नदी में समा गया। इस दौरान पुल पर मौजूद दो ट्रक, एक बोलेरो, एक पिकअप वैन और कुछ दोपहिया वाहन नदी की तेज धारा में बह गए। हादसे के समय एक टैंकर आधा टूटे हुए पुल पर लटक गया, जिसे गिरने से बचाने के लिए प्रशासन ने तुरंत कदम उठाए।

वडोदरा के पुलिस अधीक्षक रोहन आनंद ने बताया, "हादसे में कम से कम 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 10 से अधिक लोग घायल हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।" स्थानीय प्रशासन, पुलिस, दमकल विभाग और NDRF की टीमें घटनास्थल पर राहत कार्य में जुटी हैं। गोताखोरों की एक विशेष टीम भी नदी में लापता लोगों की तलाश कर रही है।


यातायात पर भारी असर

गंभीरा पुल मध्य गुजरात और सौराष्ट्र को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग था, जिसका उपयोग भारी वाहनों सहित रोजाना हजारों लोग करते थे। पुल के ढहने से वडोदरा और आणंद के बीच यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। पुलिस ने यातायात को वैकल्पिक रास्तों पर डायवर्ट किया है, लेकिन इससे लोगों को 40 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ रहा है। सड़कों पर लंबी-लंबी कतारें लग गई हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।


स्थानीय लोगों का गुस्सा और प्रशासन पर सवाल

स्थानीय लोगों ने इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि गंभीरा पुल की जर्जर हालत की शिकायत कई बार की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। 1982 में बना यह पुल पिछले कुछ सालों से हिलने और कमजोर होने की शिकायतों का सामना कर रहा था। कुछ लोगों ने बताया कि सौराष्ट्र से आने वाले भारी वाहन टोल टैक्स बचाने के लिए इस पुल का इस्तेमाल करते थे, जिससे इसकी हालत और खराब हो गई थी।

आणंद के सांसद मितेश पटेल ने कहा, "यह एक दुखद घटना है। हमने पहले ही सरकार से इस पुल की मरम्मत या नए पुल के निर्माण की मांग की थी, लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं हुई।" कांग्रेस नेता और विधानसभा में विपक्षी नेता अमित चावड़ा ने भी इस घटना को "गुजरात मॉडल में भ्रष्टाचार" का उदाहरण बताते हुए सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह हादसा सिस्टम की नाकामी को दर्शाता है। पीड़ित परिवारों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं, और मैं घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"


जांच के आदेश

सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने बताया कि हादसे के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम को घटनास्थल पर भेजा गया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी इस मामले में त्वरित जांच के निर्देश दिए हैं। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, पुल की जर्जर हालत और भारी वाहनों का दबाव इस हादसे का मुख्य कारण हो सकता है।

सरकार ने हाल ही में गंभीरा पुल के पास एक नए पुल के निर्माण के लिए 212 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी, जिसका सर्वेक्षण भी पूरा हो चुका है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते पुराने पुल की मरम्मत  किया गया होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

फिलहाल, बचाव कार्य जारी हैं और प्रशासन की पूरी कोशिश है कि नदी में फंसे किसी भी व्यक्ति को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए। इस दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को शोक में डुबो दिया है, और लोग अपने लोगों की सलामती की दुआ कर रहे हैं।