पाकिस्तान में इस साल मानसून की बारिश ने जमकर कहर बरपाया है। जून के अंत से शुरू हुई मूसलाधार बारिश और अचानक आई बाढ़ ने देश के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 200 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें करीब 100 बच्चे भी शामिल हैं। इस आपदा ने पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है।
सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ पंजाब
एनडीएमए की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब प्रांत में सबसे ज्यादा 123 लोगों की मौत हुई है। यहां भारी बारिश के कारण मकानों की छतें ढह गईं, सड़कें और पुल बह गए, और कई इलाकों में बाढ़ का पानी घरों में घुस गया। रावलपिंडी और फैसलाबाद जैसे शहरों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर रही। रावलपिंडी में सड़कों और गलियों में पानी का स्तर इतना बढ़ गया कि लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर भागने को मजबूर हो गए। फैसलाबाद में भी दो दिनों में 33 हादसों में 11 लोगों की मौत और 60 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।
खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में भी भारी नुकसान
खैबर पख्तूनख्वा में 40 लोगों की जान गई, जबकि सिंध में 21 मौतें दर्ज की गईं। बलूचिस्तान में 16 और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में एक व्यक्ति की मौत हुई। इन इलाकों में बिजली का करंट लगना, मकान ढहना, भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ मौतों के प्रमुख कारण रहे। खैबर पख्तूनख्वा के स्वात घाटी में बाढ़ ने कई परिवारों को तबाह कर दिया, जिसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।
बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान
इस मानसून ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। एनडीएमए के मुताबिक, 26 जून से अब तक 1,000 से ज्यादा घर बर्बाद हो चुके हैं। सड़कें, पुल और बिजली की लाइनें टूट गई हैं, जिससे कई इलाकों में आवागमन और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। चकवाल जिले में 450 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज की गई, जिसके कारण सड़कें बह गईं और कई गांव जलमग्न हो गए।
प्रशासन और सेना का राहत कार्य
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पंजाब में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। सेना और स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत कार्य शुरू किए हैं। पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और राहत कार्यों को तेज करने का निर्देश दिया है। एनडीएमए ने लोगों से सतर्क रहने और निचले इलाकों को खाली करने की अपील की है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी दी है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित शहरीकरण ने इस आपदा को और भयावह बना दिया है। पाकिस्तान वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में केवल 0.5% योगदान देता है, फिर भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल है। खराब जल निकासी व्यवस्था और कमजोर ढांचे ने कई शहरों में बाढ़ की स्थिति को और बदतर कर दिया। सिंध में नालों और सीवर लाइनों की सफाई न होने के कारण कई इलाके जलमग्न हो गए।
कैसे करेंगे आगे बचाव
मौसम विभाग ने 20 जुलाई से और मूसलाधार बारिश की चेतावनी दी है। सिंधु नदी के किनारे बसे इलाकों में उच्च-स्तरीय बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। एनडीएमए ने लोगों को तीन से पांच दिनों के लिए भोजन, पानी और जरूरी दवाओं का इंतजाम रखने की सलाह दी है। साथ ही, ग्लेशियर झीलों के फटने की आशंका ने खैबर पख्तूनख्वा और गिलगित-बाल्टिस्तान में चिंता बढ़ा दी है।
पाकिस्तान में इस साल का मानसून आम लोगों के लिए भारी मुसीबत बनकर आया है। सैकड़ों परिवार अपने घर और अपनों को खो चुके हैं। राहत और बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन हालात अभी भी नियंत्रण से बाहर हैं। सरकार और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों की जान बचाने के साथ-साथ बुनियादी ढांचे को दोबारा खड़ा करने की है। इस आपदा ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और बेहतर आपदा प्रबंधन की जरूरत को रेखांकित किया है।