देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार, 22 जुलाई 2025 को अपने पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को बताया है। इस कदम ने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है, और विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएँ दी हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उपसभापति हरिवंश की मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में नई नियुक्ति को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
इस्तीफे की वजह
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे की घोषणा एक संक्षिप्त पत्र के माध्यम से की, जिसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। सूत्रों के मुताबिक, 74 वर्षीय धनखड़ पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे, जिसके चलते उन्होंने यह कठिन निर्णय लिया। हालांकि, उनके इस्तीफे की अचानक घोषणा ने कई सवाल खड़े किए हैं। कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम केवल स्वास्थ्य कारणों तक सीमित नहीं हो सकता, बल्कि इसके पीछे कुछ राजनीतिक दबाव या रणनीति भी हो सकती है।
धनखड़, जो 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति बने थे, अपने कार्यकाल के दौरान कई बार विपक्ष के साथ तनातनी के लिए चर्चा में रहे। बतौर राज्यसभा सभापति, उन्होंने सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की कोशिश की, लेकिन कई मौकों पर विपक्ष ने उन पर पक्षपात का आरोप लगाया। खासकर, संसद के मॉनसून सत्र के दौरान विपक्षी सांसदों के निलंबन और कुछ मुद्दों पर चर्चा न होने को लेकर उनकी आलोचना हुई थी।
विपक्ष का क्या कहना है
धनखड़ के इस्तीफे की खबर के बाद विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएँ दीं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "उपराष्ट्रपति का इस्तीफा अचानक और चौंकाने वाला है। हम उनके स्वास्थ्य के लिए शुभकामनाएँ देते हैं, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह केवल स्वास्थ्य का मामला है या सरकार के दबाव में लिया गया फैसला है।" वहीं, तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा, "धनखड़ जी का कार्यकाल विवादों से भरा रहा। उनके इस्तीफे के पीछे की सच्चाई जल्द सामने आनी चाहिए।"
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक और गरिमामय है। अगर स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया गया है, तो यह समझ में आता है, लेकिन अगर इसके पीछे कोई और वजह है, तो जनता को सच जानने का हक है।"
राष्ट्रपति भवन में हलचल
धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में नए उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और राज्यसभा की कार्यवाही को लेकर चर्चा हुई। संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद खाली होने पर नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए। इस बीच, उपसभापति हरिवंश राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करेंगे।
सियासी अटकलें और भविष्य
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्ष के बीच एक नया सियासी युद्ध छेड़ दिया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा BJP के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है, ताकि आगामी महीनों में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी किसी नए चेहरे को इस अहम संवैधानिक पद पर ला सके। दूसरी ओर, विपक्ष इसे सरकार की अंदरूनी अस्थिरता के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहा है।
कई नामों की चर्चा नए उपराष्ट्रपति के रूप में शुरू हो गई है। इनमें कुछ वरिष्ठ BJP नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों के नेताओं के नाम भी शामिल हैं। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
जनता का क्या कहना है
सोशल मीडिया पर धनखड़ के इस्तीफे को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग उनके स्वास्थ्य के लिए चिंता जता रहे हैं, तो कुछ इसे राजनीतिक दांवपेच का हिस्सा मान रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "धनखड़ जी ने कठिन परिस्थितियों में भी गरिमा बनाए रखी। उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना है।" वहीं, एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, "यह इस्तीफा सरकार की अंदरूनी उठापटक का संकेत है।"
जगदीप धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। यह न केवल संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों के लिए एक नई बहस छेड़ सकता है, बल्कि संसद के आगामी सत्रों की कार्यवाही को भी प्रभावित कर सकता है। फिलहाल, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि नया उपराष्ट्रपति कौन होगा और क्या यह इस्तीफा वाकई केवल स्वास्थ्य कारणों से हुआ है या इसके पीछे कोई गहरी सियासी रणनीति है।