Karnatak में बाइक-टैक्सी पर बैन: जनता और ड्राइवरों का सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा, हाई कोर्ट में चुनौती !

बेंगलुरु, 30 जून 2025: कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंध ने राज्य में हलचल मचा दी है। 16 जून 2025 से लागू इस बैन ने न केवल लाखों बाइक टैक्सी ड्राइवरों की आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि आम लोगों के लिए सस्ती और सुविधाजनक यात्रा के एक महत्वपूर्ण साधन को भी छीन लिया है। इस फैसले के खिलाफ बाइक टैक्सी ड्राइवरों और यात्रियों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, जिसमें रविवार को राज्य भर में भूख हड़ताल भी शामिल थी।

क्या है बाइक टैक्सी बैन का कारण?

कर्नाटक हाई कोर्ट ने अप्रैल 2025 में एकल जज की बेंच के फैसले को बरकरार रखते हुए बाइक टैक्सी सेवाओं पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का कहना था कि जब तक राज्य सरकार मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 93 के तहत बाइक टैक्सी के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और नियम लागू नहीं करती, तब तक ओला, उबर और रैपिडो जैसे ऐप-आधारित बाइक टैक्सी एग्रीगेटर्स को संचालन की अनुमति नहीं दी जा सकती। सरकार ने इस फैसले को लागू करते हुए 16 जून से बाइक टैक्सी पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया

इसके पीछे कई कारण बताए गए हैं। सरकार और कोर्ट का मानना है कि बाइक टैक्सी सेवाएं मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन करती हैं, क्योंकि अधिकांश बाइक टैक्सी निजी वाहनों (व्हाइट-बोर्ड बाइक) का उपयोग करती हैं, जो व्यावसायिक उपयोग के लिए पंजीकृत नहीं हैं। इसके अलावा, महिलाओं की सुरक्षा और ऑटो रिक्शा व टैक्सी ड्राइवरों के साथ बाइक टैक्सी चालकों के बीच होने वाले झगड़ों को भी इस बैन का आधार बताया गया है।


बैन का प्रभाव: जनता और ड्राइवर दोनों परेशान

इस प्रतिबंध ने बेंगलुरु जैसे व्यस्त शहर में यातायात और यात्रा की लागत पर गहरा असर डाला है। बाइक टैक्सी, जो सस्ती और तेज़ यात्रा का एक लोकप्रिय साधन थी, अब सड़कों से गायब हैं। इसके परिणामस्वरूप, बेंगलुरु में ट्रैफिक जाम की समस्या 18% तक बढ़ गई है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 16 जून को बैन लागू होने के बाद शहर में शाम 7 बजे, जो सबसे व्यस्त समय होता है, ट्रैफिक सामान्य से कहीं अधिक रहा।

यात्रियों की शिकायत है कि ऑटो रिक्शा और कैब की कीमतें आसमान छू रही हैं। न्यूज़9लाइव की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑटो चालक अब मीटर से दोगुना किराया वसूल रहे हैं। बेंगलुरु सेंट्रल के सांसद पी.सी. मोहन ने परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी को पत्र लिखकर ऐप-आधारित ऑटो रिक्शा के लिए न्यूनतम किराया 35 रुपये तय करने की मांग की है, ताकि यात्रियों को लूट से बचाया जा सके।

दूसरी ओर, बाइक टैक्सी ड्राइवरों के लिए यह बैन किसी बड़े झटके से कम नहीं है। बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन के अनुसार, इस प्रतिबंध ने राज्य में करीब 6.5 लाख ड्राइवरों और उनके परिवारों की आजीविका को प्रभावित किया है। डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट में बताया गया कि ड्राइवरों का कहना है कि उनके पास अब कोई वैकल्पिक आय का स्रोत नहीं बचा है। एक ड्राइवर रमेश, जो तुमकुर से हैं, ने कहा, "अब हमारे पास पैसे नहीं हैं। हर दिन जीवित रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। मेरे बच्चे की स्कूल फीस बकाया है, और हम खाना भी छोड़ रहे हैं।"


विरोध और हाई कोर्ट में चुनौती

बैन के खिलाफ बाइक टैक्सी चालकों ने एकजुट होकर आवाज उठाई है। 21 जून को, 5,000 से अधिक ड्राइवरों ने बेंगलुरु के विधान सौधा के सामने विरोध प्रदर्शन किया, लेकिन पुलिस ने इसे अवैध बताकर कई ड्राइवरों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद, 29 जून को बेंगलुरु, मैसूर, मांड्या, दावणगेरे और रामनगर में बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन ने भूख हड़ताल का आयोजन किया। ड्राइवरों ने इसे अपनी "अंतिम गुहार" बताया और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को एक खुला पत्र लिखकर बैन हटाने और स्पष्ट नियमावली लागू करने की मांग की।

हाई कोर्ट में भी इस बैन को चुनौती दी गई है। बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन, ओला, उबर, रैपिडो और दो व्यक्तिगत बाइक मालिकों ने अपील दायर की है। वरिष्ठ वकील धन्य चिन्नप्पा ने कोर्ट में तर्क दिया कि बाइक टैक्सी न केवल यात्रियों के लिए सुविधाजनक है, बल्कि यह ट्रैफिक जाम को कम करने में भी मदद करती है। उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को सुरक्षा संबंधी चिंताओं को नीतियों के माध्यम से हल करना चाहिए, न कि पूरी तरह से बैन लगाकर।"

एसोसिएशन ने यह भी तर्क दिया कि कर्नाटक में 2021 में ई-बाइक टैक्सी नीति लागू की गई थी, जो इस तरह की सेवाओं के लिए आधार प्रदान करती है। उनका कहना है कि सरकार का यह बैन "राजनीति से प्रेरित" है और ऑटो व कैब ड्राइवरों के दबाव में लिया गया फैसला है।


क्या कहते हैं यात्री

बेंगलुरु के यात्रियों का कहना है कि बाइक टैक्सी उनके लिए एक किफायती और तेज़ विकल्प थी, खासकर व्यस्त सड़कों पर। एक यात्री ने सोशल मीडिया पर लिखा, "बाइक टैक्सी के बिना अब ऑटो वाले मनमाना किराया मांग रहे हैं। सरकार को इस बैन के नतीजों को देखना चाहिए।" एक अन्य यात्री ने कहा, "सुबह 8 बजे से पहले ही बेंगलुरु की सड़कें जाम हो रही हैं। बाइक टैक्सी के बिना लास्ट-माइल कनेक्टिविटी की बहुत समस्या हो रही है।"

हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 2 जुलाई को होनी है। बाइक टैक्सी चालकों और यात्रियों को उम्मीद है कि कोर्ट इस बैन पर पुनर्विचार करेगा या सरकार को जल्द से जल्द नियामक ढांचा तैयार करने का निर्देश देगा। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि बेंगलुरु में बीएमटीसी की 7,000 बसें और अच्छी कनेक्टिविटी होने के कारण बाइक टैक्सी की जरूरत नहीं है।

हालांकि, 19 अन्य राज्यों में बाइक टैक्सी सेवाएं नियमन के साथ चल रही हैं, जिसे ड्राइवर और यात्री कर्नाटक के लिए एक उदाहरण के रूप में देख रहे हैं। बाइक टैक्सी वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा, "हम अराजकता नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि सरकार एक ऐसी नीति बनाए जो ड्राइवरों, यात्रियों और सरकार के लिए फायदेमंद हो।"