भारत और अमेरिका के बीच जल्द होगी बड़ी व्यापारिक डील, ट्रंप ने दिए संकेत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को एक बड़े ऐलान के साथ वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने चीन के साथ एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही, ट्रंप ने भारत के साथ जल्द ही एक "बहुत बड़ी" व्यापारिक डील होने के संकेत दिए, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्ते और मजबूत होने की उम्मीद है।


चीन के साथ समझौता: वैश्विक सप्लाई चेन को मजबूती

व्हाइट हाउस में आयोजित 'बिग ब्यूटीफुल बिल' इवेंट के दौरान ट्रंप ने कहा, "हमने कल ही चीन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। यह एक शानदार सौदा है, जो अमेरिका और चीन दोनों के लिए फायदेमंद होगा।" हालांकि, ट्रंप ने इस समझौते की बारीकियों को सार्वजनिक नहीं किया, लेकिन व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बाद में बताया कि यह डील मुख्य रूप से रेयर अर्थ मिनरल्स की आपूर्ति पर केंद्रित है। यह समझौता वैश्विक सप्लाई चेन में स्थिरता लाने और अमेरिका की औद्योगिक जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।

पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के कारण रेयर अर्थ मिनरल्स में रुकावटें आई थीं, जो तकनीकी और रक्षा क्षेत्र के लिए अहम हैं। इस समझौते के तहत चीन से अमेरिका को मैग्नेट और अन्य दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति बढ़ेगी। इसके अलावा, चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ाई की अनुमति जैसे कुछ अन्य चीजें भी शामिल हैं।


भारत के साथ 'बड़ी डील' की संभावना

ट्रंप ने अपने भाषण में भारत के साथ होने वाले समझौते पर खास जोर दिया। उन्होंने कहा, "हम जल्द ही भारत के साथ एक बहुत बड़ा सौदा करने जा रहे हैं। हम भारत के लिए दरवाजे खोल रहे हैं, जैसे हमने चीन के लिए किए।" ट्रंप का यह बयान भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों के लिए एक संकेत है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर कुछ समय से तनाव बना हुआ था।

 अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 को भारत से आयात होने वाले कुछ सामानों पर 26% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसके जवाब में भारत ने भी जवाबी टैरिफ की बात कही थी। लेकिन अब दोनों देश इस विवाद को सुलझाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापार समझौता 9 जुलाई से पहले हो सकता है। भारत चाहता है कि अमेरिका इस अतिरिक्त टैरिफ को हटाए, और ट्रंप के ताजा बयान से इसकी उम्मीद बढ़ गई है।


क्या होगा भारत के लिए फायदा?

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। वर्तमान में यह व्यापार करीब 191 अरब डॉलर का है। भारतीय निर्यातकों के लिए यह एक बड़ा मौका होगा, खासकर टेक्सटाइल, रत्न-आभूषण, चमड़ा, और कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों में। साथ ही, अमेरिकी कंपनियों को भारत में निवेश और कारोबार के नए अवसर मिलेंगे।
भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का 80% आयात करता है, मध्य पूर्व पर निर्भरता कम करना चाहता है। ट्रंप ने पहले भी संकेत दिए थे कि वह भारत को तेल और गैस का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता बनाना चाहते हैं।


चुनौतियां और अवसर

हालांकि, यह समझौता आसान नहीं होगा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक हितो में कुछ अंतर हैं। भारत दवा निर्यात पर  टैरिफ को लेकर चिंतित है, क्योंकि यह उसकी अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है। दूसरी ओर, अमेरिका भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहता है, जो 2024 से 25 में 41.18 अरब डॉलर रहा।

 भारत के मंत्रालय के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल और अमेरिकी अधिकारियों के बीच चल रही बातचीत इस दिशा में सकारात्मक संकेत दे रही है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी कहा है कि कोई भी समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होना चाहिए।


ट्रंप की रणनीति

ट्रंप ने साफ किया कि अमेरिका हर देश के साथ व्यापारिक समझौते नहीं करेगा। उन्होंने कहा, "हम कुछ देशों को बस एक पत्र भेजकर कहेंगे कि आपको 25, 35 या 45% टैरिफ देना होगा।" यह बयान उनकी 'सेलेक्टिव डील' नीति को दर्शाता है, जिसमें वह केवल उन देशों के साथ सौदे करना चाहते हैं, जो अमेरिका के रणनीतिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा दें। भारत को इस नीति में एक खास जगह मिलना भारत की बढ़ती वैश्विक आर्थिक ताकत को दर्शाता है।

 भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत अब अपने अंतिम चरण में है। जून 2025 तक एक अंतरिम समझौते की उम्मीद है, जिसके बाद सितंबर-अक्टूबर तक एक व्यापक द्विपक्षीय समझौता हो सकता है। इस डील से न केवल दोनों देशों के आर्थिक रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।