प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की यात्रा: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और वैश्विक सहयोग को नई दिशा

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 2 जुलाई से 9 जुलाई तक पांच देशों की महत्वपूर्ण यात्रा पर रवाना हो रहे हैं। इस दौरान वे घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील और नामीबिया का दौरा करेंगे। इस यात्रा का मुख्य आकर्षण ब्राजील में आयोजित होने वाला 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन है, जिसमें भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने के साथ-साथ इन देशों के साथ आर्थिक, रक्षा और रणनीतिक संबंधों को गहरा करने पर ध्यान देगा।

यात्रा का उद्देश्य: वैश्विक सहयोग को नई दिशा

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इस दौरे का मकसद न केवल ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के बीच सहयोग को मजबूत करना है, बल्कि अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र के देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय रिश्तों को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाना है।


ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा

ब्राजील में आयोजित होने वाला 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस सम्मेलन में वैश्विक आर्थिक स्थिति, जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, और भू-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। भारत, ब्रिक्स के एक प्रमुख सदस्य के रूप में, डिजिटल अर्थव्यवस्था, हरित ऊर्जा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग जैसे मुद्दों पर अपनी बात रखेगा। प्रधानमंत्री मोदी इस मंच का उपयोग वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों की आवाज को और बुलंद करने के लिए करेंगे, जो उनकी विदेश नीति का एक प्रमुख हिस्सा रहा है।


घाना और नामीबिया: अफ्रीका के साथ बढ़ता रिश्ता

मोदी का अफ्रीकी देशों घाना और नामीबिया का दौरा भारत की 'अफ्रीका पहले' नीति को रेखांकित करता है। घाना के साथ भारत के संबंध हाल के वर्षों में तेजी से मजबूत हुए हैं, खासकर व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में। इस दौरे में दोनों देशों के बीच कृषि, स्वास्थ्य और डिजिटल तकनीक में सहयोग बढ़ाने पर जोर होगा। वहीं, नामीबिया के साथ भारत खनन, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में नए अवसर तलाशेगा। दोनों देशों के साथ भारत अपनी 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को साझा करने की दिशा में भी काम करेगा।


त्रिनिदाद-टोबैगो: कैरेबियाई क्षेत्र में भारत की उपस्थिति

त्रिनिदाद-टोबैगो का दौरा भारत के लिए कैरेबियाई क्षेत्र में अपनी मौजूदगी को और मजबूत करने का मौका है। इस देश में बसे भारतीय मूल के लोगों के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों को देखते हुए, यह दौरा भावनात्मक और रणनीतिक दोनों महत्वपूर्ण है। मोदी इस दौरे में व्यापार, निवेश और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा प्रयासों पर चर्चा करेंगे।


अर्जेंटीना और ब्राजील: लैटिन अमेरिका के साथ गहरे संबंध

लैटिन अमेरिकी देशों अर्जेंटीना और ब्राजील के साथ भारत के रिश्ते पहले से ही मजबूत हैं, और यह दौरा इन रिश्तों को नई गति देगा। अर्जेंटीना के साथ भारत कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा और फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करेगा। ब्राजील, जो ब्रिक्स का एक महत्वपूर्ण साझेदार है, के साथ भारत रक्षा, अंतरिक्ष और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएं तलाशेगा। दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने और निवेश के नए रास्ते खोलने पर भी चर्चा होगी।


भारत की वैश्विक भूमिका को नई ऊंचाई

यह यात्रा न केवल भारत की कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और प्रभावशाली शक्ति के रूप में उभर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा भारत को अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने का मौका देगा। साथ ही, ब्रिक्स जैसे मंचों के जरिए भारत वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक चर्चाओं में अपनी भूमिका को और मजबूत करेगा।


जनता क्या कहती है

भारत में इस यात्रा को लेकर उत्साह है। सोशल मीडिया पर लोग इसे भारत की वैश्विक कूटनीति की एक और जीत के रूप में देख रहे हैं। दिल्ली के एक छात्र रोहन शर्मा ने कहा, "मोदी जी की ये यात्राएं भारत को दुनिया में एक नई पहचान दे रही हैं। हमारी संस्कृति और ताकार को वैश्विक मंच पर देखना गर्व की बात है।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पांच देशों की यात्रा भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों को बढ़ावा देगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और इन देशों के साथ द्विपक्षीय चर्चाएं भारत के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेंगी, जिससे देश की वैश्विक साझेदारी और समृद्ध होगी।