मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इजरायल और यमन के हूती विद्रोहियों के बीच हाल के दिनों में सैन्य टकराव तेज हो गया है, जिसने क्षेत्रीय स्थिरता को और अधिक खतरे में डाल दिया है। यह ताजा विवाद तब शुरू हुआ जब लाल सागर में एक लाइबेरियाई झंडे वाले जहाज पर हमला हुआ, जिसके पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। इसके जवाब में इजरायल ने यमन के हूती-नियंत्रित इलाकों पर हवाई हमले किए, जिसके बाद हूतियों ने इजरायल पर मिसाइलों से पलटवार किया।
इस बढ़ते संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व की स्थिति को जटिल बना दिया है, बल्कि वैश्विक व्यापार और समुद्री सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
लाल सागर में जहाज पर हमला
7 जुलाई 2025 की सुबह, लाल सागर में यमन के तट के पास एक लाइबेरियाई झंडे वाले कमर्शियल जहाज पर सशस्त्र हमलावरों ने हमला किया। हमलावरों ने बंदूकों और रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड्स (RPG) का इस्तेमाल किया। जहाज की सुरक्षा टीम ने जवाबी कार्रवाई की और हमलावरों को खदेड़ दिया, लेकिन इस घटना ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया। माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे यमन के हूती विद्रोही हैं, जो पहले भी लाल सागर में जहाजों पर हमले कर चुके हैं। ये हमले वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण लाल सागर मार्ग को असुरक्षित बना रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ रही है।
इजरायल का जवाब: हूती ठिकानों पर हवाई हमले
लाल सागर में हुए हमले के बाद, इजरायल ने यमन के हूती-नियंत्रित बंदरगाहों होदेइदाह और सालिफ पर हवाई हमले किए। इजरायली सेना का दावा है कि इन बंदरगाहों का इस्तेमाल ईरान से हथियार लाने और सप्लाई करने के लिए किया जा रहा था। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इन हमलों की सराहना करते हुए कहा कि हूती विद्रोही "ईरान के मोहरे" हैं और उनके ठिकानों को निशाना बनाना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी था। इन हमलों में हूती विद्रोहियों के हथियार डिपो, तेल रिफाइनरियों और अन्य सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा। यमन के हूती समर्थक टीवी चैनल अल मसीराह ने इन हमलों की जांच की और बताया कि कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई और कई घायल हुए।
हूतियों का पलटवार: इजरायल पर मिसाइल हमले
इजरायल के हवाई हमलों के जवाब में, हूती विद्रोहियों ने इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले शुरू किए। 6 जुलाई 2025 को यमन से दागी गई एक मिसाइल को इजरायली वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया, लेकिन इससे पहले पूरे देश में सायरन बज उठे और लोगों में दहशत फैल गई। हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सारी ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह इजरायल के हमलों का जवाब था और वे भविष्य में भी हमले जारी रख सकते हैं। इससे पहले भी हूती विद्रोही गाजा युद्ध के समर्थन में इजरायल पर कई मिसाइल और ड्रोन हमले कर चुके हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर हमले इजरायल की उन्नत वायु रक्षा प्रणाली ने विफल कर दिए।
ईरान का कनेक्शन: हथियारों की सप्लाई और क्षेत्रीय तनाव
इजरायल का कहना है कि हूती विद्रोहियों को ईरान से हथियार और वित्तीय सहायता मिल रही है। यमन के बंदरगाहों पर इजरायल के हमले इस दावे पर आधारित हैं कि इनका इस्तेमाल ईरान से मिसाइल और ड्रोन की तस्करी के लिए किया जा रहा है। ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है, और हूती विद्रोही इस संघर्ष में ईरान के प्रॉक्सी के रूप में देखे जाते हैं। हाल ही में इजरायल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए तेहरान और इस्फहान जैसे शहरों में हवाई हमले किए थे, जिसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर हाइपरसोनिक मिसाइलों से हमला किया। यह ताजा घटनाक्रम इस क्षेत्रीय तनाव का एक हिस्सा है, जिसमें हूती विद्रोही, हिजबुल्लाह और इराक की मिलिशिया जैसे ईरान समर्थित समूह शामिल हैं।
समुद्री व्यापार पर खतरा
लाल सागर में जहाजों पर बढ़ते हमलों ने वैश्विक व्यापार के लिए खतरा पैदा कर दिया है। लाल सागर एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग है, जिसके जरिए यूरोप, एशिया और अफ्रीका के बीच व्यापार होता है। हूती विद्रोहियों के हमलों ने शिपिंग कंप्यूटर्स को वैकल्पिक मार्ग अपनाने के लिए मजबूर किया है, जिससे लागत बढ़ रही है और आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर अमेरिका और ब्रिटेन, ने इन हमलों की निंदा की है और लाल सागर में नौसैनिक गश्त बढ़ा दी है। हालांकि, हूती विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि अगर इजरायल और उसके सहयोगी हमले जारी रखते हैं, तो वे लाल सागर में अमेरिकी और ब्रिटिश जहाजों को भी निशाना बना सकते हैं।
मध्य पूर्व में इजरायल और हूती विद्रोहियों के बीच बढ़ता संघर्ष न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ सकता है। लाल सागर में जहाजों पर हमले और हूती ठिकानों पर इजरायल के हवाई हमले इस बात का संकेत हैं कि यह टकराव जल्द खत्म होने वाला नहीं है। ईरान की भूमिका और क्षेत्रीय प्रॉक्सी समूहों की सक्रियता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।