KARNATAKA POLTICS कर्नाटक में सियासी घमासान: कथित घोटाले पर कांग्रेस-बीजेपी आमने-सामने

कर्नाटक की राजनीति में एक बार फिर से तूफान खड़ा हो गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच एक कथित घोटाले को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया है। विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और सियासी साजिश करार दिया है। इस विवाद के चलते कर्नाटक विधानसभा के आगामी सत्र में गर्मागर्म बहस की संभावना जताई जा रही है।


क्या है कथित घोटाला?

हाल ही में बीजेपी ने कर्नाटक सरकार पर एक बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। सूत्रों के मुताबिक, यह मामला एक सरकारी योजना से जुड़ा है, जिसमें कथित तौर पर अनियमितताएं और धन के दुरुपयोग का दावा किया गया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि इस घोटाले में कई उच्चस्तरीय अधिकारी और सत्तारूढ़ दल के कुछ नेता शामिल हो सकते हैं। विपक्ष ने इस मामले की जांच के लिए स्वतंत्र समिति गठन की मांग की है और इसे "कर्नाटक की जनता के साथ विश्वासघात" बताया है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार के दलदल में डूबी हुई है। यह घोटाला सिर्फ एक उदाहरण है कि कैसे जनता के पैसे का गलत इस्तेमाल हो रहा है। हम इस मुद्दे को विधानसभा में पुरजोर तरीके से उठाएंगे और दोषियों को बेनकाब करेंगे।"


मुख्यमंत्री का जवाब: 'आरोप बेबुनियाद, सियासी ड्रामा

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने इसे बीजेपी की "सियासी नौटंकी" करार देते हुए कहा कि विपक्ष के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। सिद्धारमैया ने एक बयान में कहा, "हमारी सरकार पारदर्शी और जनहित में काम कर रही है। बीजेपी हार की बौखलाहट में बेबुनियाद आरोप लगा रही है। अगर उनके पास कोई सबूत है, तो वे इसे जनता के सामने लाएं। हम किसी भी जांच के लिए तैयार हैं।"

उपमुख्यमंत्री D.K शिवकुमार ने भी बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा, "यह वही बीजेपी है, जिसके शासनकाल में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए थे। अब जब हमारी सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू कर रही है, तो उन्हें तकलीफ हो रही है। जनता सब समझती है।"


विधानसभा में होगी तीखी बहस

इस कथित घोटाले ने कर्नाटक की सियासत को और गर्मा दिया है। विधानसभा का अगला सत्र जल्द शुरू होने वाला है, और माना जा रहा है कि यह मुद्दा सत्र का केंद्रबिंदु होगा। बीजेपी ने ऐलान किया है कि वह इस मामले को लेकर सदन में सरकार को घेरेगी और कार्यवाही को बाधित करने की भी धमकी दी है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को एकजुट रहने और विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए तैयार रहने को कहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस के बीच चल रही सियासी जंग का हिस्सा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को हराकर सत्ता हासिल की थी, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने जेडीएस के साथ गठबंधन कर 19 सीटें जीतकर वापसी की थी। इस घोटाले के जरिए बीजेपी सत्तारूढ़ कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस इसे सियासी बदले की कार्रवाई बता रही है।


कांग्रेस के भीतर भी खींचतान

इस बीच, कांग्रेस के भीतर भी सब कुछ ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री D.K शिवकुमार के बीच नेतृत्व को लेकर चल रही खींचतान एक बार फिर चर्चा में है। कुछ विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई है, जिसे बीजेपी ने मौके के रूप में भुनाने की कोशिश की है। हाल ही में एक X पोस्ट में दावा किया गया कि D.K शिवकुमार के समर्थक 100 विधायकों के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी की मांग कर रहे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने इस पर फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया है।


जनता की नजरें

इस सियासी घमासान का असर कर्नाटक की जनता पर भी पड़ रहा है। कई लोग मानते हैं कि घोटाले के आरोपों ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है, जबकि कुछ का कहना है कि बीजेपी बेवजह हंगामा कर रही है। बेंगलुरु के एक स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने कहा, "हमें नेताओं के इस झगड़े से कोई मतलब नहीं। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी समस्याओं का हल निकाले, जैसे सड़क, पानी और बिजली।"

कर्नाटक की सियासत में यह विवाद अभी और तूल पकड़ सकता है। अगर बीजेपी ठोस सबूत पेश करती है, तो कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दूसरी ओर, अगर ये आरोप बेबुनियाद साबित हुए, तो बीजेपी की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। विधानसभा सत्र में होने वाली बहस और जांच की मांग इस मामले को और रोचक बना सकती है।

फिलहाल, कर्नाटक की जनता और राजनीतिक हलकों की नजरें इस सियासी ड्रामे पर टिकी हैं। क्या यह घोटाला वाकई में सरकार को हिला देगा, या यह सिर्फ एक और सियासी शोर साबित होगा? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।