उत्तर प्रदेश सरकार की अनोखी पहल: लोमड़ी और सियार के हमले को राज्य आपदा घोषित, मृतक के परिवार को मिलेगा 4 लाख का मुआवजा

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक अनोखा और लोगों के हित के लिए फैसला लिया है, जिसके तहत अब लोमड़ी या सियार के काटने से होने वाली मृत्यु को राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल किया गया है। इस नीति के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु इन जंगली जानवरों के हमले से होती है, तो उनके परिवार को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां इस तरह के हमलों का खतरा अधिक रहता है।


क्यों उठाया गया यह कदम?

उत्तर प्रदेश के कई ग्रामीण और जंगल से सटे इलाकों में लोमड़ी और सियार जैसे जानवरों के हमले आम बात हैं। खासकर रात के समय या खेतों में काम करने के दौरान लोग इनके शिकार बन जाते हैं। कई बार ये हमले इतने गंभीर होते हैं कि व्यक्ति की जान चली जाती है। सरकार ने इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए इसे राज्य आपदा की श्रेणी में शामिल करने का फैसला किया। इस नीति का मकसद पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना और ग्रामीण समुदायों में सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

मुआवजे की प्रक्रिया और नियम

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु लोमड़ी या सियार के काटने से होती है, तो उनके परिवार को 4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस मुआवजे का लाभ उठाने के लिए मृतक के परिवार को स्थानीय प्रशासन को घटना की सूचना देनी होगी। इसके बाद, मेडिकल और पुलिस जांच के आधार पर मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो, ताकि पीड़ित परिवारों को समय पर सहायता मिल सके।


ग्रामीणों ने किया स्वागत, लेकिन उठे कुछ सवाल

इस नीति का ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों ने स्वागत किया है। लखनऊ के पास एक गांव के निवासी रामप्रकाश ने बताया, "हमारे यहां रात में लोमड़ियां अक्सर घूमती हैं। कई बार बच्चे और बुजुर्ग इनके निशाने पर आ जाते हैं। सरकार का यह फैसला हमें राहत देगा।" वहीं, कुछ लोग इस नीति को लागू करने के तरीके पर सवाल उठा रहे हैं। मिर्जापुर के एक सामाजिक कार्यकर्ता अनिल यादव ने कहा, "यह कदम अच्छा है, लेकिन सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जंगली जानवरों के हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।"


जानवरों के हमलों को रोकने की जरूरत

हालांकि मुआवजा एक राहतकारी कदम है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को लोमड़ी और सियार जैसे जानवरों के हमलों को रोकने के लिए  उपाय करने चाहिए। वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. संजय मिश्रा ने बताया, "इन जानवरों का प्राकृतिक आवास कम हो रहा है, जिसके कारण वे गांवों की ओर आ रहे हैं। जंगलों की सुरक्षा, जानवरों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था, और ग्रामीणों को जागरूक करने जैसे कदम उठाए जाने चाहिए।"


सरकार का संदेश: सुरक्षा और सहायता

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस नीति के जरिए एक मजबूत संदेश दिया है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा और कल्याण के लिए  है। यह कदम उन परिवारों के लिए आर्थिक और भावनात्मक सहारा प्रदान करेगा, जो मुश्किल परिस्थितियों में अपने प्रियजनों को खो देते हैं। साथ ही, यह नीति ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को यह भरोसा दिलाती है कि सरकार उनके साथ खड़ी है।

यह नीति न केवल उत्तर प्रदेश के लिए, बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है, जहां जंगली जानवरों के हमले एक समस्या हैं। सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि भविष्य में ऐसी अन्य योजनाओं पर विचार किया जा सकता है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा दें।

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बार फिर साबित किया है कि वह जनता की छोटी-बड़ी समस्याओं को समझने और उनके समाधान के लिए है। क्या यह नीति ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव लाएगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह कदम लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।