तेजप्रताप यादव लड़ेंगे बिहार विधानसभा चुनाव, अखिलेश यादव से बातचीत में जताई मंशा, इस बार बिहार के चुनाव में कुछ बड़ा होने वाला है।

बिहार की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव के भविष्य को लेकर चल रही अटकलों पर अब विराम लगता दिख रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ हाल ही में हुई बातचीत में तेजप्रताप ने साफ कर दिया है कि वह आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरेंगे। 



अखिलेश यादव से वीडियो कॉल पर हुई लंबी बातचीत

25 जून 2025 को तेजप्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल 'एक्स' पर एक पोस्ट साझा कर बताया कि उनकी अखिलेश यादव के साथ वीडियो कॉल पर लंबी बातचीत हुई। इस दौरान दोनों नेताओं ने बिहार के मौजूदा राजनीतिक हालात और विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की। तेजप्रताप ने अपनी पोस्ट में लिखा, "आज मेरे परिवार के सबसे प्यारे सदस्यों में से एक, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी से वीडियो कॉल पर लंबी बातचीत हुई। इस दौरान बिहार के सियासी माहौल पर भी चर्चा हुई। अखिलेश जी हमेशा मेरे दिल के करीब रहे हैं और उनका कॉल मेरे लिए बहुत मायने रखता है। ऐसा लगा जैसे मैं अपनी इस लड़ाई में अकेला नहीं हूं।" 
इस बातचीत में अखिलेश ने तेजप्रताप से सवाल किया कि वह बिहार में कहां से चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। जवाब में तेजप्रताप ने संकेत दिया कि वह जल्द ही लखनऊ जाकर अखिलेश से मुलाकात करेंगे और अपनी रणनीति को अंतिम रूप देंगे। इस बयान ने यह साफ कर दिया कि तेजप्रताप न केवल चुनाव लड़ने के मूड में हैं, बल्कि समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर बिहार में नई सियासी जमीन तलाश सकते हैं।



RJD से निष्कासन के बाद नई राह की तलाश

तेजप्रताप यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने उन्हें RJD और परिवार से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया था। यह निष्कासन तेजप्रताप द्वारा सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ अपनी तस्वीर और 12 साल पुराने रिश्ते का जिक्र करने के बाद हुआ था। इस घटना ने बिहार की राजनीति में तूफान ला दिया था और तेजप्रताप के सियासी भविष्य पर सवाल उठने लगे थे। 
हालांकि, तेजप्रताप ने अपनी चुप्पी को कमजोरी न समझने की चेतावनी देते हुए कहा था, "मैं झूठ के चक्रव्यूह को तोड़ने जा रहा हूं। मेरी खामोशी को कमजोरी न समझें।" उनके इस बयान और अखिलेश यादव से बातचीत ने साफ कर दिया है कि वह हार मानने वालों में से नहीं हैं। 



क्या समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़ेंगे चुनाव?

तेजप्रताप और अखिलेश यादव की इस बातचीत ने बिहार में सियासी हलकों में नई अटकलों को जन्म दिया है। चर्चा है कि तेजप्रताप समाजवादी पार्टी के टिकट पर बिहार विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं। समाजवादी पार्टी पहले भी बिहार में कई विधानसभा चुनाव लड़ चुकी है, हालांकि उसे कोई खास सफलता नहीं मिली। लेकिन तेजप्रताप जैसे चर्चित चेहरे के साथ सपा बिहार में अपनी मौजूदगी को मजबूत करने की कोशिश कर सकती है। 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर तेजप्रताप सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो यह RJD के वोट बैंक, खासकर यादव मतदाताओं, को प्रभावित कर सकता है। बिहार में यादव समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है, और तेजप्रताप की लोकप्रियता इस समुदाय में उनकी सियासी ताकत को बढ़ा सकती है। हालांकि, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या तेजप्रताप सपा के बैनर तले RJD को नुकसान पहुंचाने की रणनीति अपनाएंगे, या फिर वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर या नई पार्टी बनाकर मैदान में उतरेंगे।



महुआ सीट पर नजरें

तेजप्रताप ने पहले ही संकेत दे दिए हैं कि वह बिहार की महुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। महुआ उनकी परंपरागत सीट रही है, जहां से वह 2015 में पहली बार विधायक चुने गए थे। 2020 में वह हसनपुर सीट से चुनाव जीते थे, लेकिन उनका कहना है कि उनकी आत्मा हमेशा महुआ में ही बसती है। तेजप्रताप ने कहा, "महुआ की जनता मुझे वापस बुला रही है। मैंने इस सीट के विकास के लिए अपने और अपनी मां के विधायक फंड से खूब काम करवाया है।" 
हालांकि, महुआ सीट पर RJD के मौजूदा विधायक मुकेश रौशन के साथ उनकी टकराव की खबरें भी सामने आई हैं। तेजप्रताप के महुआ से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद मुकेश रौशन के भावुक होने और रोने की खबरें भी वायरल हुई थीं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजप्रताप इस सीट पर किस रणनीति के साथ उतरते हैं।



अखिलेश और तेजप्रताप का रिश्ता

तेजप्रताप और अखिलेश यादव के बीच न केवल सियासी रिश्ता है, बल्कि पारिवारिक संबंध भी हैं। तेजप्रताप की छोटी बहन राजलक्ष्मी यादव की शादी सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भतीजे तेज प्रताप सिंह यादव से हुई है। इस रिश्तेदारी ने दोनों नेताओं को और करीब ला दिया है। तेजप्रताप ने अपनी पोस्ट में अखिलेश को परिवार का हिस्सा बताते हुए उनके समर्थन को अपनी ताकत बताया। 



बिहार की सियासत पर नजर

बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। RJD और महागठबंधन के साथ-साथ NDA भी अपनी रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा है। ऐसे में तेजप्रताप का यह कदम बिहार की सियासत को और रोमांचक बना सकता है। अगर वह सपा के साथ मिलकर मैदान में उतरते हैं, तो यह RJD के लिए चुनौती बन सकता है। वहीं, तेजप्रताप की लोकप्रियता और उनके बेबाक अंदाज को देखते हुए यह भी माना जा रहा है कि वह बिहार में नया सियासी समीकरण बना सकते हैं। 

तेजप्रताप यादव के इस फैसले ने साफ कर दिया है कि वह सियासत में अभी पूरी तरह सक्रिय रहना चाहते हैं।बिहार की जनता और सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि तेजप्रताप का अगला कदम क्या होगा। क्या वह अपने पिता की पार्टी RJD को चुनौती देंगे, या फिर सपा के साथ मिलकर बिहार में नई सियासी पारी की शुरुआत करेंगे? लेकिन इतना तय है कि तेजप्रताप की यह घोषणा बिहार की सियासत को और गर्म करने वाली है।