भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर अपनी 18 दिन की ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने के बाद पृथ्वी की ओर वापसी शुरू कर दी है। नासा और इसरो के प्रयासों के तहत एक्सिओम-4 मिशन का हिस्सा रहे शुभांशु ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उनकी वापसी की प्रक्रिया आज, 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे शुरू होगी, और 15 जुलाई को दोपहर 3:00 बजे के आसपास कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में उनकी लैंडिंग होने की उम्मीद है।
एक ऐतिहासिक मिशन
शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन, ने 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट पर सवार होकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरी थी। यह मिशन भारत के लिए गर्व का क्षण था, क्योंकि शुभांशु आईएसएस पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में पहुंचने वाले वे दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। इस मिशन में उनके साथ अमेरिका की पेगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कापु शामिल थे।
शुभांशु ने अपने मिशन के दौरान 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो मानव जीवन, अंतरिक्ष में कृषि, और जैविक अनुसंधान से जुड़े थे। उन्होंने माइक्रोएल्गी से ऑक्सीजन और भोजन उत्पादन की संभावनाओं पर काम किया, साथ ही अंतरिक्ष में बीजों के अंकुरण और मांसपेशियों के स्वास्थ्य पर शोध किया। ये प्रयोग भविष्य में चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर मानव जीवन की संभावनाओं को समझने में मदद करेंगे।
विदाई समारोह और भावनात्मक संदेश
13 जुलाई को आईएसएस पर आयोजित विदाई समारोह में शुभांशु ने एक भावनात्मक संदेश दिया। उन्होंने राकेश शर्मा के मशहूर उद्धरण "सारे जहां से अच्छा" का जिक्र करते हुए कहा, "चार दशक बाद आज मैं अंतरिक्ष से भारत को देख रहा हूं, और यह पहले से कहीं अधिक आत्मविश्वास, और गर्व से भरा दिखता है।" उनके इस संदेश ने देशवासियों के दिलों को छू लिया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति को रेखांकित किया। समारोह में छह देशों के व्यंजनों का भोज आयोजित हुआ, जिसमें शुभांशु ने आम रस और गाजर का हलवा अपने साथियों के साथ साझा किया।
वापसी की प्रक्रिया
शुभांशु और उनकी टीम का स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान आज शाम 4:35 बजे आईएसएस से अलग होगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित होगी, लेकिन चालक दल इसकी निगरानी करेगा। अंतरिक्ष यान धीरे-धीरे पृथ्वी की ओर बढ़ेगा और वायुमंडल में प्रवेश करने से पहले रेट्रोग्रेड बर्न (रॉकेट फायरिंग) के जरिए इसकी गति कम की जाएगी। वायुमंडल में प्रवेश के दौरान यान की गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, और यह तीव्र गर्मी और घर्षण का सामना करेगा। हीट शील्ड यान को सुरक्षित रखेगा, और पैराशूट की मदद से यह कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग करेगा। नासा इस लैंडिंग का सीधा प्रसारण करेगा, जिसे पूरी दुनिया देख सकेगी।
लैंडिंग के बाद, शुभांशु और उनके साथी सात दिनों के लिए नासा के पुनर्वास कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जहां उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति की निगरानी की जाएगी। इसरो के फ्लाइट सर्जन भी उनकी सेहत पर नजर रखेंगे। इसरो ने बताया कि शुभांशु का स्वास्थ्य अच्छा है और वे उत्साह से भरे हुए हैं। वे अपने साथ 580 पाउंड से अधिक कार्गो ला रहे हैं, जिसमें नासा का हार्डवेयर और उनके प्रयोगों का डेटा शामिल है।
परिवार में उत्साह
लखनऊ में रहने वाले शुभांशु के माता-पिता, शम्भू दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला, अपने बेटे की वापसी को लेकर उत्साहित हैं। उनकी मां ने कहा, "हमारा बेटा मिशन पूरा करके लौट रहा है। हम उसका स्वागत करने के लिए बेताब हैं।" उनके पिता ने बताया कि शुभांशु ने वीडियो कॉल के जरिए उन्हें अंतरिक्ष स्टेशन की सैर कराई और सूर्योदय के अनोखे नजारे दिखाए। परिवार और लखनऊ के लोग उनकी इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं।
भारत के लिए मील का पत्थर
एक्सिओम-4 मिशन भारत के मिशन के लिए एक मजबूत आधार तैयार करता है, जिसका लक्ष्य 2027 में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को कक्षा में स्थापित करना है। इसरो ने इस मिशन के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम को मजबूती देगा। शुभांशु की यात्रा न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ती है। उनकी वापसी का हर भारतीय बेसब्री से इंतजार कर रहा है, और यह पल देश के लिए गर्व का एक और अवसर होगा।