पंजाब और हरियाणा के किसानों ने एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद करने का फैसला किया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान संगठनों ने दिल्ली कूच की घोषणा की है। 21 जून 2025 को पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बड़े प्रदर्शन की तैयारी है। इस बीच, केंद्र सरकार ने किसानों के मुद्दों पर बातचीत के लिए एक समिति गठित की है, लेकिन किसानों का कहना है कि वे ठोस नतीजे चाहते हैं।
शंभू बॉर्डर बनेगा आंदोलन का केंद्र
पिछले कई महीनों से शंभू बॉर्डर किसान आंदोलन का मुख्य केंद्र रहा है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा जैसे संगठनों के नेतृत्व में किसान 13 फरवरी 2024 से यहां डटे हुए हैं। इस बार 21 जून को होने वाले प्रदर्शन में हजारों किसानों के शामिल होने की उम्मीद है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, “हमारा मकसद सिर्फ MSP की कानूनी गारंटी नहीं, बल्कि किसानों की दूसरी समस्याओं का भी समाधान है। सरकार अगर बातचीत से हल निकालना चाहती है, तो उसे जल्दी कदम उठाने होंगे।”
किसानों की मांगों में MSP के अलावा कर्ज माफी, बिजली की दरों में बढ़ोतरी रोकने, और 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। शंभू बॉर्डर पर पहले भी कई बार किसानों ने दिल्ली कूच की कोशिश की, लेकिन हरियाणा पुलिस और प्रशासन ने बैरिकेडिंग, आंसू गैस, और पानी की बौछारों से उन्हें रोक दिया। इस बार भी प्रशासन ने सख्त इंतजाम किए हैं। अंबाला में धारा 144 लागू है, और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद करने की बात कही जा रही है।
सरकार की समिति, क्या होगा नतीजा?
केंद्र सरकार ने किसानों के साथ बातचीत के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई है। इस समिति का मकसद MSP, कर्ज, और दूसरी मांगों पर चर्चा करना है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को किसानों के मुद्दों को गंभीरता से लेने की सलाह दी है। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि समिति बनाना सिर्फ समय बर्बाद करने का तरीका है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले कई दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, ने कहा, “हम समिति से नहीं, सीधे सरकार से बात चाहते हैं। MSP पर कानून बनाना हमारा हक है।”
किसानों का आरोप है कि सरकार ने 2021 में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद MSP की गारंटी देने का वादा किया था, लेकिन अब तक उसका पालन नहीं हुआ। कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “किसानों के साथ वादाखिलाफी हुई है। सरकार को तुरंत MSP कानून लाना चाहिए।”
हरियाणा और पंजाब में अलग-अलग रुख
हरियाणा के कुछ किसान संगठनों ने पंजाब के आंदोलन से दूरी बनाई है। भारतीय किसान यूनियन और कुछ स्थानीय सरपंचों ने दिल्ली कूच का विरोध किया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “हमारी सरकार हरियाणा के किसानों की फसलों को MSP पर खरीद रही है। यह आंदोलन ज्यादातर पंजाब के किसानों का है।” दूसरी ओर, पंजाब के किसान संगठन एकजुट हैं और आंदोलन को तेज करने की बात कर रहे हैं।
जनता पर क्या होगा असर?
शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन की वजह से दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे पर यातायात प्रभावित हो सकता है। पहले भी इस बॉर्डर के बंद होने से स्थानीय कारोबारियों और यात्रियों को परेशानी हुई थी। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का कहना है कि बॉर्डर बंद होने से करोड़ों का नुकसान हो चुका है। स्थानीय लोग चाहते हैं कि सरकार और किसान जल्दी बातचीत से रास्ता निकालें।
21 जून का प्रदर्शन किसान आंदोलन का एक अहम पड़ाव हो सकता है। अगर सरकार और किसानों के बीच बातचीत बेनतीजा रही, तो आंदोलन और तेज होने की आशंका है। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने भी शंभू बॉर्डर को खोलने की बात कही है, जिससे स्थिति और जटिल हो सकती है।
किसानों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगें रखेंगे, लेकिन अगर सरकार ने बल प्रयोग किया, तो वे पीछे नहीं हटेंगे। अब सबकी नजरें 21 जून पर टिकी हैं, जब शंभू बॉर्डर एक बार फिर किसानों की एकजुटता का गवाह बनेगा।