ईरान का इजरायल पर बड़ा हमला: यरुशलम और तेल अवीव में मिसाइलों की गूंज, अमेरिका ने करी Benjamin Netanyahu की मदद!

शुक्रवार की रात मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव का माहौल गहरा गया, जब ईरान ने इजरायल पर जवाबी हवाई हमले किए। इन हमलों में इजरायल के दो सबसे बड़े शहरों, यरुशलम और तेल अवीव, में जोरदार धमाकों की आवाजें सुनाई दीं। खबरों के मुताबिक, ईरान ने अब तक दो चरणों में इजरायल पर करीब 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं। इस बीच, अमेरिकी सेना ने इजरायल की मदद करते हुए ईरानी मिसाइलों को रोकने में अहम भूमिका निभाई।

हमले की वजह क्या?

यह हमला ईरान की ओर से इजरायल के हालिया हवाई हमलों के जवाब में किया गया। इजरायल ने शुक्रवार सुबह ईरान के कई सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे, जिनमें ईरान के कई मुख्य सैन्य कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत की खबरें आईं। इजरायल का दावा है कि उसने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र और बैलिस्टिक मिसाइल सुविधाओं को निशाना बनाया, ताकि ईरान की परमाणु और मिसाइल क्षमताओं को कमजोर किया जा सके। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' का नाम देते हुए कहा कि यह हमला ईरान के बढ़ते खतरे को रोकने के लिए जरूरी था।

ईरान ने इन हमलों को 'जघन्य अपराध' करार दिया और जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने कहा, "इजरायल को इसके लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।" इसके बाद शुक्रवार रात ईरान ने 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3' के तहत इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन दागे।


तेल अवीव और यरुशलम में दहशत

ईरानी मिसाइलों ने इजरायल के प्रमुख शहरों को निशाना बनाया। तेल अवीव और यरुशलम में रात के समय धमाकों की आवाजों ने लोगों में दहशत पैदा कर दी। इजरायल में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया, और लोगों को बम शेल्टर में जाने के निर्देश दिए गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि रात में आसमान में मिसाइलों की चमक और विस्फोटों की आवाजें साफ देखी और सुनी गईं।
ईरान की सरकारी मीडिया के अनुसार, इन हमलों में इजरायल के सैन्य ठिकानों और रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय को निशाना बनाया गया। ईरान ने यह भी दावा किया कि उसने इजरायल के दो एफ-35 फाइटर जेट मार गिराए। हालांकि, इजरायल ने इस दावे की पुष्टि नहीं की है। इजरायल की सेना ने कहा कि उसका आयरन डोम डिफेंस सिस्टम सक्रिय है और कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया गया। फिर भी, कुछ मिसाइलें तेल अवीव में गिरीं, जिनमें एक महिला की मौत और 60 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है।


अमेरिका ने इसराइल की मदद की

इस तनावपूर्ण स्थिति में अमेरिका ने इजरायल का साथ दिया। अमेरिकी सेना ने इजरायल की ओर बढ़ रही कई ईरानी मिसाइलों को मार गिराने में मदद की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिका ने इजरायल की सुरक्षा के लिए अपनी वायु रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने साफ किया कि अमेरिका इस संघर्ष में सीधे तौर पर शामिल नहीं है और उसकी प्राथमिकता क्षेत्र में अपने सैनिकों की सुरक्षा है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी स्थिति पर नजर रखने की बात कही और ईरान को चेतावनी दी कि उसके पास अब भी बातचीत का रास्ता खुला है। ट्रंप ने कहा, "हम नहीं चाहते कि यह संघर्ष और बढ़े, लेकिन इजरायल की सुरक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।"


वैश्विक चिंता और भारत की स्थिति

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन गया है। मध्य पूर्व में इस जंग का असर तेल की कीमतों और वैश्विक व्यापार पर पड़ सकता है। भारत, जो अपनी तेल जरूरतों का बड़ा हिस्सा मध्य पूर्व से पूरा करता है, इस स्थिति पर करीबी नजर रख रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि भारत दोनों देशों से शांति और संयम बरतने की अपील कर सकता है।


खतरनाक हो सकती है आगे की राह

ईरान और इजरायल के बीच यह तनाव अभी थमता नजर नहीं आ रहा। इजरायल ने साफ कर दिया है कि वह तब तक हमले जारी रखेगा, जब तक ईरान का परमाणु खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता। दूसरी ओर, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई को और तेज करने की बात कही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
फिलहाल, पूरी दुनिया की नजर इस क्षेत्र पर टिकी है। क्या यह तनाव बातचीत से सुलझेगा, या मध्य पूर्व एक बड़े युद्ध की ओर बढ़ रहा है? यह सवाल हर किसी के मन में है।