छत्तीसगढ़ की धार्मिक नगरी डोंगरगढ़ में एक सनसनीखेज घटना ने लोगों को हक्का-बक्का कर दिया है। प्रज्ञागिरी पहाड़ी के पास एक तथाकथित योगगुरु, तरुण अग्रवाल उर्फ सोनू, जो खुद को जटाधारी साधु और अंतरराष्ट्रीय योगगुरु बताता था, को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। 25 जून 2025 को पुलिस ने उसके आश्रम पर छापेमारी की, जहां से 2 किलो गांजा, सेक्स टॉयज, नशीली गोलियां, वियाग्रा टैबलेट, इंजेक्शन और कई आपत्तिजनक सामान बरामद हुए। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि पाखंडी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को और तेज कर दिया है।
आश्रम की आड़ में गलत धंधा
तरुण अग्रवाल पिछले डेढ़ साल से डोंगरगढ़ में अपने आश्रम, जिसका नाम "सेठ श्री बालकिशन प्रसाद अग्रवाल मेमोरियल फाउंडेशन" है, को चला रहा था। यह आश्रम अभी निर्माणाधीन था और इसे गोवा की तर्ज पर एक हेरिटेज योग सेंटर के रूप में प्रचारित किया जा रहा था। लेकिन साधना और योग के नाम पर यहां कुछ और ही खेल चल रहा था। स्थानीय लोगों की शिकायतों और पुलिस की गश्त के दौरान संदिग्ध गतिविधियों के बाद 24 जून को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली। इसके आधार पर 25 जून को डोंगरगढ़ पुलिस ने एसडीओ आशीष कुंजाम के नेतृत्व में आश्रम पर छापा मारा।छापेमारी के दौरान पुलिस को आश्रम के बरामदे में रखे एक दीवान से 1.993 किलो गांजा मिला। इसके अलावा, बाथरूम और कमरों से सेक्स टॉयज, नशीली गोलियां, वियाग्रा टैबलेट, इंजेक्शन और कुछ विदेशी बॉक्स बरामद हुए, जिनकी जांच अब साइबर सेल कर रही है। आश्रम में मिले वीडियो उपकरणों ने भी पुलिस का ध्यान खींचा है, जिससे शक गहरा गया है कि यहां रेव पार्टियों जैसा कुछ शुरू करने की योजना थी।
कौन है तरुण अग्रवाल?
45 वर्षीय तरुण अग्रवाल उर्फ सोनू डोंगरगढ़ का ही मूल निवासी है और स्थानीय स्तर पर सेठ परिवार के नाम से जाना जाता है। उसका परिवार शहर में प्रतिष्ठित है; उसके बड़े भाई ठेकेदारी का काम करते हैं और अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भी रह चुके हैं, जबकि मंझले भाई की फॉर्च्यून की दुकान है। तरुण के पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका है। उसने डेढ़ साल पहले 6 करोड़ रुपये में यह आश्रम खरीदा था, जो अभी भी निर्माणाधीन है।तरुण ने पुलिस को बताया कि वह पिछले 20 सालों से गोवा में रह रहा था, जहां उसने विदेशी पर्यटकों को योग सिखाने का काम किया। उसने दावा किया कि वह 100 देशों की यात्रा कर चुका है और उसके पास विभिन्न देशों के योग प्रशिक्षण के प्रमाणपत्र हैं। उसने गोवा में कई संपत्तियां भी बनाईं और वहां विदेशियों के बीच एक नेटवर्क स्थापित किया। डोंगरगढ़ में भी वह उसी मॉडल को दोहराना चाहता था, लेकिन उसका असली मकसद युवाओं को नशे की लत लगाना और रात के समय अय्याशी का अड्डा चलाना था।
युवाओं को बनाया निशाना
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि तरुण अग्रवाल खासतौर पर युवाओं को अपने जाल में फंसाता था। वह "शांति शिविर" के नाम पर युवाओं को बुलाता और उन्हें गांजा और नशीली गोलियां देकर ध्यान साधना की ट्रेनिंग देता था। रात के समय आश्रम में लड़कियों का जमावड़ा रहता था, जिसके चलते स्थानीय लोगों में नाराजगी बढ़ रही थी। कई लोगों ने पुलिस से शिकायत की कि आश्रम में संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं। पुलिस को यह भी शक है कि तरुण देह व्यापार के धंधे में शामिल हो सकता है, जिसकी जांच अब कई कोणों से की जा रही है।पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
डोंगरगढ़ पुलिस ने छापेमारी के बाद आश्रम को सील कर दिया और निर्माण कार्य रोक दिया। तरुण अग्रवाल को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है। पुलिस अब उसके सोशल नेटवर्क, बैंक खातों, पासपोर्ट और एनजीओ के दस्तावेजों की गहराई से जांच कर रही है। तरुण ने दावा किया है कि वह 10 से अधिक NGO का डायरेक्टर है और उसे विदेशी फंडिंग मिलती है। पुलिस को शक है कि उसका नेटवर्क गोवा और विदेशों तक फैला हो सकता है, जिसके लिए साइबर सेल और अन्य एजेंसियां जांच में जुटी हैं।जनता में आक्रोश, सख्त कार्रवाई की मांग
इस घटना ने डोंगरगढ़ की पवित्र नगरी की छवि को धक्का पहुंचाया है, जो माँ बम्लेश्वरी मंदिर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। स्थानीय लोगों में इस पाखंडी बाबा के खिलाफ गुस्सा है और वे ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यह मामला न केवल सनसनीखेज है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि आध्यात्मिकता की आड़ में किस तरह गलत धंधे चल रहे हैं।पुलिस ने लोगों से अपील की है कि अगर किसी को तरुण अग्रवाल या उसके आश्रम से जुड़ी कोई जानकारी हो, तो वे तुरंत पुलिस से संपर्क करें। इस मामले में आगे की जांच से और भी खुलासे होने की उम्मीद है।