डुमरांव (बिहार): रविवार देर रात बिहार के डुमरांव में राष्ट्रीय राजमार्ग-922 पर एक दिल दहलाने वाला सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक ट्रक चालक की जिंदा जलकर दर्दनाक मौत हो गई। इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया, बल्कि सड़क सुरक्षा को लेकर कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए।
पुलिस और आस पास के लोगों के अनुसार, हादसा रात करीब 11:30 बजे हुआ। बालू से लदा एक ट्रक तेज रफ्तार में डुमरांव की ओर जा रहा था। अचानक ट्रक का अगला टायर फट गया, जिसके कारण चालक रविंद्र कुमार वाहन पर नियंत्रण खो बैठा। अनियंत्रित ट्रक सामने से आ रहे एक टेलर से जोरदार टक्कर मार बैठा। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि दोनों वाहनों में तुरंत आग लग गई। आग की लपटें इतनी तेज थीं कि आसपास का इलाका रोशनी से भर गया।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे के बाद चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई। ट्रक चालक रविंद्र कुमार केबिन में फंस गया और आग की लपटों ने उसे घेर लिया। कुछ लोग मदद के लिए दौड़े, लेकिन आग इतनी भयानक थी कि कोई भी नजदीक जाने की हिम्मत नहीं जुटा सका।
सूचना मिलते ही डुमरांव थाना पुलिस और आग बुझाने वाले दल की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। आग बुझाने ने करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक रविंद्र कुमार की मौत हो चुकी थी। पुलिस ने बताया कि चालक का शव पूरी तरह जल चुका था, जिसके कारण उसकी पहचान में भी मुश्किल हुई। बाद में ट्रक के दस्तावेजों और अन्य दस्तावेजों के आधार पर मृतक की पहचान रविंद्र कुमार के रूप में की गई।
हादसे के बाद NH-922 पर लंबा जाम लग गया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। पुलिस ने क्रेन की मदद से क्षतिग्रस्त वाहनों को सड़क से हटाया और कई घंटों की मेहनत के बाद यातायात को सामान्य किया। मृतक के परिजनों को सूचित कर दिया गया है, और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए नजदीकी सरकारी अस्पताल भेजा गया है।
डुमरांव थाना प्रभारी ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जांच में टायर फटना हादसे की मुख्य वजह माना जा रहा है। हालांकि, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या ट्रक की तेज रफ्तार, सड़क की खराब स्थिति, या वाहन के रखरखाव में कमी ने इस हादसे को और गंभीर बनाया।
स्थानीय लोगों ने इस हादसे के बाद सड़क सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई है। डुमरांव के निवासी और स्थानीय दुकानदार रमेश यादव ने कहा, "NH-922 पर आए दिन तेज रफ्तार ट्रक और अन्य भारी वाहन दौड़ते हैं। सड़क पर कोई स्पीड ब्रेकर नहीं है, और न ही नियमित रूप से वाहनों की जांच होती है। अगर प्रशासन समय रहते कदम नहीं उठाएगा, तो ऐसे हादसे और होंगे।" कई अन्य लोगों ने भी प्रशासन से मांग की है कि हाईवे पर स्पीड लिमिट लागू की जाए और वाहनों की नियमित जांच के लिए चेकपॉइंट बनाए जाएं।
यह हादसा सड़क सुरक्षा के प्रति लापरवाही का एक और दुखद उदाहरण है। रविंद्र कुमार की मौत ने उनके परिवार को गहरा सदमा दिया है। बताया जाता है कि रविंद्र अपने परिवार के मुख्य कमाने वाले थे, और उनके जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस घटना ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि क्या हमारी सड़कें और वाहन वाकई सुरक्षित हैं? क्या प्रशासन और वाहन मालिकों की जिम्मेदारी केवल हादसे के बाद जांच तक सीमित रहनी चाहिए?
इस हादसे ने न केवल डुमरांव, बल्कि पूरे क्षेत्र में सड़क सुरक्षा को लेकर चर्चा तेज कर दी है। लोग अब प्रशासन से ठोस कदमों की उम्मीद कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके। और यह समाज के लिए एक चेतावनी है कि सड़क सुरक्षा को हल्के में लेना कितना खतरनाक हो सकता है।