ANDAMAAN SEA में OIL और GAS का विशाल भंडार: भारत की अर्थव्यवस्था के लिए नया मौका

अंडमान और निकोबार द्वीप जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत समुद्र तटों के लिए जाना जाता है, अब एक नई वजह से सुर्खियों में है। हाल ही में वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिकों ने अंडमान सागर में लगभग 2 लाख करोड़ लीटर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार की संभावना जताई है। यह खोज भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस खोज से देश की जीडीपी में पांच गुना तक की वृद्धि हो सकती है, जो भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर और मजबूत स्थिति में ला सकता है।

खोज की शुरुआत: कैसे सामने आई

अंडमान सागर में तेल और गैस भंडार की खोज की कहानी कुछ साल पहले शुरू हुई थी, जब भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) ने मिलकर इस क्षेत्र में भू-वैज्ञानिक अध्ययन शुरू किया। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का समुद्री क्षेत्र काफी जटिल है। यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है, जो इसे तेल और गैस भंडार के लिए अनुकूल बनाता है।

पिछले कुछ महीनों में, ONGC ने अंडमान सागर में गहरे समुद्र में ड्रिलिंग और सिस्मिक सर्वे किए। इन सर्वे में आधुनिक तकनीकों जैसे 3D और 4D सिस्मिक मैपिंग का इस्तेमाल किया गया, जिससे समुद्र तल के नीचे तेल और गैस के संभावित भंडारों का पता लगाया जा सका। प्रारंभिक आंकड़ों ने संकेत दिया कि इस क्षेत्र में करीब 2 लाख करोड़ लीटर कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस मौजूद हो सकती है। यह मात्रा इतनी विशाल है कि यह भारत के मौजूदा तेल भंडार से कई गुना ज्यादा है।


क्या है इस खोज का महत्व?

भारत दुनिया में तेल और गैस का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। देश की ऊर्जा जरूरतों का लगभग 85% हिस्सा आयात के जरिए पूरा होता है, जिसके लिए हर साल अरबों डॉलर खर्च किए जाते हैं। अंडमान सागर में तेल और गैस का यह भंडार भारत की इस निर्भरता को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 इसके अलावा, इस खोज से भारत की अर्थव्यवस्था पर कई प्रभाव पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस भंडार के दोहन से भारत की जीडीपी में पांच गुना तक की वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि न केवल तेल और गैस के निर्यात से आएगी, बल्कि इससे जुड़े उद्योगों, जैसे रिफाइनरी, पेट्रोकेमिकल्स, और परिवहन क्षेत्र में भी रोजगार और निवेश के नए अवसर पैदा होंगे।


अंडमान सागर

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश है, जो बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर में फैला हुआ है। यह क्षेत्र भूवैज्ञानिक रूप से काफी सक्रिय है, क्योंकि यह इंडियन टेक्टोनिक प्लेट और बर्मा माइक्रोप्लेट के मिलन स्थल पर स्थित है। इस तरह की भूवैज्ञानिक संरचना तेल और गैस के भंडार के लिए अनुकूल होती है, क्योंकि यहाँ हाइड्रोकार्बन के जमा होने की संभावना अधिक होती है।
ONGC और अन्य वैज्ञानिक संगठनों ने इस क्षेत्र में कई सालों से अध्ययन किया है। पहले के सर्वेक्षणों में भी यहाँ तेल और गैस की मौजूदगी के संकेत मिले थे।


GDP में पांच गुना वृद्धि का अनुमान

अब सवाल यह है कि इस खोज से भारत की जीडीपी में इतनी बड़ी वृद्धि कैसे संभव है? इसका जवाब कई कारकों में छिपा है। सबसे पहले, तेल और गैस का यह भंडार भारत को ऊर्जा आयात पर अपनी निर्भरता कम करने का मौका देगा। वर्तमान में भारत हर साल लगभग 250 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात करता है। अगर अंडमान सागर से तेल और गैस का उत्पादन शुरू होता है, तो यह राशि काफी हद तक बचेगी, जिसे अन्य विकास कार्यों में निवेश किया जा सकता है।

दूसरा, तेल और गैस के दोहन से जुड़े उद्योगों में भारी निवेश होगा। रिफाइनरी, पाइपलाइन, और पेट्रोकेमिकल उद्योगों की स्थापना से लाखों नौकरियाँ पैदा होंगी। इससे न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का आर्थिक विकास भी तेज होगा।

अंडमान सागर में तेल और गैस के विशाल भंडार की खोज भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि आर्थिक विकास और रोजगार में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। हालांकि, इस खोज का दोहन सावधानी और जिम्मेदारी के साथ करना होगा, ताकि पर्यावरण और स्थानीय समुदायों को कोई नुकसान न पहुँचे।