उत्तर प्रदेश सरकार ने एक बड़ा प्रशासनिक फैसला लेते हुए 63 तहसीलदारों को उप जिलाधिकारी (SDM) के पद से सम्मानित किया। इस फैसले के तहत इन अधिकारियों को सातवें वेतन आयोग के अनुसार 56,100 से 1,77,500 रुपये तक का वेतन मिलेगा। इस संबंध में नियुक्ति विभाग ने सोमवार को आधिकारिक आदेश जारी कर दिए।

पदो की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 26 जून को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में तहसीलदारों के प्रदर्शन, अनुभव और योग्यता के आधार पर चयन प्रक्रिया पूरी की गई। सूत्रों के अनुसार, यह फैसला प्रशासनिक कार्यों में दक्षता बढ़ाने और अधिकारियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से लिया गया है।

लोक सेवा आयोग की भूमिका और चयन प्रक्रिया

इस पद के लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC) ने 26 जून को एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में तहसीलदारों के सेवा रिकॉर्ड, कार्यकुशलता, अनुभव और प्रशासनिक क्षमता का गहन मूल्यांकन किया गया। आयोग ने पूरी पारदर्शिता के साथ चयन प्रक्रिया को अंजाम दिया, जिसमें योग्यता और निष्पक्षता को प्राथमिकता दी गई। सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता की शिकायत नहीं मिली, जिसने सरकार और आयोग की विश्वसनीयता को और मजबूत किया है।


नया पद नई जिम्मेदारियां

 अधिकारियों को अब उप जिलाधिकारी के रूप में अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभानी होंगी। एसडीएम के तौर पर ये अधिकारी राजस्व, कानून-व्यवस्था, और स्थानीय प्रशासन से जुड़े मामलों की निगरानी करेंगे। इसके साथ ही, जनता की समस्याओं के समाधान और सरकारी योजनाओं के प्रभावी कार्य में इनकी भूमिका और भी अहम हो जाएगी।


अधिकारियों में उत्साह, प्रशासन में सुधार की उम्मीद

इस पदोन्नति से तहसीलदारों में उत्साह का माहौल है। कई अधिकारियों ने इसे अपने वर्षों की मेहनत और समर्पण का परिणाम बताया। एक पदोन्नत अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, यह न केवल हमारे लिए एक सम्मान की बात है, बल्कि यह जिम्मेदारी भी बढ़ाता है। हम जनता की सेवा और बेहतर तरीके से करने का मौका मिला है।

प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की पदोन्नतियां न केवल अधिकारियों का मनोबल बढ़ाती हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रशासनिक कार्यों को और मजबूत करने में भी मदद करती हैं। खास तौर पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में, जहां प्रशासनिक चुनौतियां कई तरह की हैं, ऐसे कदम सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।


चयन प्रक्रिया

लोक सेवा आयोग की 26 जून की बैठक में चयन प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी रखा गया। सूत्रों के मुताबिक, अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड, कार्यकुशलता और अनुभव को प्राथमिकता दी गई। इस प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता की शिकायत सामने नहीं आई है, जिससे सरकार और आयोग की विश्वसनीयता और बढ़ी है।

प्रशासनिक सुधारों की दिशा में सरकार का जोर
उत्तर प्रदेश सरकार पिछले कुछ वर्षों से प्रशासनिक सुधारों पर विशेष ध्यान दे रही है। तहसीलदारों की यह सामूहिक पदोन्नति उसी दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के कदम न केवल अधिकारियों का मनोबल बढ़ाते हैं, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रशासनिक कार्यों को और प्रभावी बनाते हैं।

खास तौर पर उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में, जहां जनसंख्या और प्रशासनिक चुनौतियां दोनों ही बड़ी हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में सरकार और भी अधिकारियों को उनके कार्यों के आधार पर प्रोत्साहन दे सकती है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अन्य विभागों में भी जल्द ही इसी तरह की पदोन्नति प्रक्रियाएं शुरू की जा सकती हैं।

यह कदम न केवल अधिकारियों के लिए एक प्रेरणा है, बल्कि आम जनता के लिए भी एक सकारात्मक संदेश देता है कि सरकार बेहतर प्रशासन और जनसेवा के लिए प्रतिबद्ध है।  नए एसडीएम से उम्मीद की जा रही है कि वे अपने नए दायित्वों को पूरी निष्ठा और मेहनत से निभाएंगे।