दिल्ली की हवा को साफ करने और प्रदूषण के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने नए और सख्त नियम लागू किए हैं। इन नियमों का मकसद भारी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करना और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही, सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए आकर्षक सब्सिडी योजनाओं की भी घोषणा की है। ये कदम दिल्ली को स्वच्छ और हरित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माने जा रहे हैं।
भारी वाहनों पर सख्ती
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में से एक, भारी वाहनों को बंद करने का फैसला किया है। 1 नवंबर 2025 से केवल बीएस-6 मानक वाले, सीएनजी, और इलेक्ट्रिक वाहनों को ही शहर में प्रवेश की अनुमति होगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर नहीं चलने दिया जाएगा। हमारी प्राथमिकता दिल्ली की हवा को साफ करना और लोगों का स्वास्थ्य सुरक्षित रखना है।"
इसके तहत, 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन की आपूर्ति पर भी रोक लगाई गई है। 1 जुलाई 2025 से दिल्ली के सभी पेट्रोल पंपों पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे लगाए गए हैं, जो पुराने वाहनों की पहचान कर उन्हें ईंधन देने से रोकेंगे। इस कदम से दिल्ली में करीब 62 लाख पुराने वाहनों, जिनमें 41 लाख दोपहिया और 18 लाख चारपहिया वाहन शामिल हैं, पर असर पड़ेगा।
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
दिल्ली सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2.0 (ईवी पॉलिसी 2.0) को प्रदूषण नियंत्रण की रीढ़ माना जा रहा है। इस नीति के तहत, 2027 तक दिल्ली में 95% वाहनों को इलेक्ट्रिक करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कई बड़े कदम उठाए जा रहे हैं:
सब्सिडी और प्रोत्साहन: सरकार ने दोपहिया इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर 30,000 रुपये तक की सब्सिडी देने की योजना बनाई है। ई-रिक्शा और ई-कार्ट के लिए 30,000 रुपये, जबकि इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और फोर-व्हीलर वाहनों के लिए क्रमशः 45,000 और 75,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर: 2026 तक दिल्ली में 48,000 चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित करने का लक्ष्य है, जिनमें 18,000 सरकारी और 30,000 सेमी-प्राइवेट होंगे। इसके अलावा, रिंग रोड और आउटर रिंग रोड जैसे प्रमुख मार्गों पर फास्ट-चार्जिंग कॉरिडोर बनाए जाएंगे।
लोगों पर क्या होगा असर?
ये नए नियम दिल्ली के निवासियों और वाहन मालिकों के लिए कई बदलाव लाएंगे। पुराने वाहनों के मालिकों को अपने वाहनों को अपग्रेड करना होगा या इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख करना होगा। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों की ऊँची शुरुआती कीमत चिंता का विषय हो सकती है, लेकिन सब्सिडी और कम रखरखाव लागत इसे लंबे समय में किफायती बनाएगी। ऑटो-रिक्शा चालकों के लिए भी यह बदलाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सरकार ने इलेक्ट्रिक ऑटो में बदलाव के लिए रेट्रोफिटिंग और सब्सिडी की सुविधा दी है।
क्यों जरूरी हैं ये कदम?
दिल्ली में हर साल सर्दियों में वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर तक पहुँच जाती है। वाहनों से होने वाला प्रदूषण, खासकर दोपहिया और तिपहिया वाहनों से, इसमें 42% तक योगदान देता है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और निर्माण धूल जैसे अन्य कारकों के साथ, दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है। इन नए नियमों से न केवल प्रदूषण में कमी आएगी, बल्कि रोजगार सृजन और स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।
दिल्ली सरकार का यह कदम निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन इसकी सफलता सख्ती से लागू करने और जागरूकता बढ़ाने पर निर्भर करेगी। चार्जिंग स्टेशनों का तेजी से विस्तार, पुराने वाहनों की पहचान और लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के फायदों के बारे में जागरूक करना इस नीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। दिल्लीवासियों से अपील है कि वे इस बदलाव में सरकार का साथ दें और स्वच्छ हवा के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएँ।