दिल्ली के भीड़भाड़ वाले आजाद मार्केट इलाके में शुक्रवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब एक पुरानी इमारत अचानक ढह गई। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोगों के घायल होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिए, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली में पुरानी और जर्जर इमारतों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।


कैसे हुआ हादसा?

यह घटना सुबह करीब 8:30 बजे की है, जब आजाद मार्केट में स्थित एक चार मंजिला इमारत अचानक भरभराकर गिर गई। इमारत के नीचे कुछ दुकानें थीं और ऊपरी मंजिलों पर कुछ परिवार रह रहे थे। हादसे के समय बाजार में सुबह की चहल-पहल शुरू ही हुई थी, जिसके कारण कई लोग मलबे में फंस गए। स्थानीय लोगों ने बताया कि इमारत पहले से ही जर्जर हालत में थी और इसके मालिक को कई बार इसकी मरम्मत के लिए चेतावनी दी गई थी।

हादसे में 35 वर्षीय राजेश कुमार नाम के एक व्यक्ति की मौत हो गई, जो पास की एक दुकान में काम करते थे। पुलिस के अनुसार, राजेश सुबह दुकान खोलने आए थे, तभी यह हादसा हुआ। मलबे में फंसे अन्य लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की एक टीम को तुरंत मौके पर बुलाया गया।


राहत और बचाव कार्य

हादसे की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस, दमकल विभाग और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य में जेसीबी मशीनों और अन्य उपकरणों की मदद से मलबा हटाया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, "हमारी प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना है। अभी तक एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन हमें डर है कि मलबे में और लोग फंसे हो सकते हैं।"

स्थानीय लोगों ने भी बचाव कार्य में मदद की। एक आदमी मोहम्मद शफीक, ने बताया, "हमने सुना कि अचानक जोर की आवाज आई और पूरी इमारत कुछ ही सेकंड में ढह गई। हमने तुरंत पुलिस को फोन किया और आसपास के लोग मलबा हटाने में जुट गए।"


इमारत की स्थिति और लापरवाही

जांच में पता चला है कि ढही इमारत करीब 50 साल पुरानी थी और इसका रखरखाव ठीक नहीं था। स्थानीय लोगों का कहना है कि इमारत में दरारें साफ दिखाई दे रही थीं, लेकिन मालिक ने इसकी मरम्मत के लिए कोई कदम नहीं उठाया। एक स्थानीय दुकानदार, रमेश गुप्ता, ने कहा, "हमने कई बार नगर निगम को शिकायत की थी कि यह इमारत खतरनाक है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अगर समय रहते ध्यान दिया जाता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।"

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इमारत के मालिक को पिछले साल नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया। अब इस मामले में मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।


प्रशासन का क्या कहना है

दिल्ली सरकार ने इस हादसे पर दुख जताया है और मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। इसके साथ ही, सरकार ने पूरे शहर में जर्जर इमारतों की जांच के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, "हम इस हादसे से बहुत दुखी हैं। हम सुनिश्चित करेंगे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। सभी पुरानी इमारतों की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।"

यह हादसा दिल्ली में पुरानी इमारतों की सुरक्षा और नगर निगम की लापरवाही पर सवाल उठाता है। आजाद मार्केट जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में ऐसी कई इमारतें हैं, जो किसी भी समय हादसे का कारण बन सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में इमारतों की नियमित जांच और मरम्मत के लिए एक ठोस नीति की जरूरत है।

स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि सरकार इस तरह के हादसों को रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए। एक निवासी, अनीता देवी, ने कहा, "हम हर दिन डर में जीते हैं कि कहीं कोई इमारत हमारे सिर पर न गिर जाए। सरकार को अब जागना चाहिए।"

दिल्ली जैसे महानगर में जहां लाखों लोग पुरानी इमारतों में रहते और काम करते हैं, वहां सुरक्षा को लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जा सकती। इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासन और नागरिकों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजने की जरूरत पर जोर दिया है।