उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री धाम के पैदल मार्ग पर सोमवार को एक दुखद हादसा हुआ। नौ कैंची के पास अचानक भूस्खलन होने से कुछ लोग मलबे में दब गए। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और यमुनोत्री यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के बीच हड़कंप मचा दिया। हादसे की सूचना मिलते ही बचाव टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत कार्य शुरू कर दिया गया।
जिला प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि इस भूस्खलन में दो से तीन लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है। हालांकि, अभी तक फंसे हुए लोगों की सही संख्या और उनकी स्थिति की जांच नहीं हो पाई है। अधिकारी ने कहा, "हमें हादसे की जानकारी मिलते ही तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। बचाव कार्य में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है।" हादसे के बाद (SDRF) और पुलिस की टीमें तेजी से घटनास्थल पर पहुंचीं और मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश शुरू की। इसके साथ ही, राहत टीमें भी मौके के लिए रवाना कर दी गई हैं, ताकि बचाव कार्य में तेजी लाई जा सके।
नौ कैंची: भूस्खलन का इलाका
नौ कैंची का क्षेत्र लंबे समय से भूस्खलन के लिए जोखिम भरा माना जाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस इलाके में बारिश और पहाड़ी ढलानों में हो रहे बदलावों की वजह से भूस्खलन की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। एक स्थानीय निवासी रमेश नेगी ने बताया, "यहां पहले भी कई बार छोटे-बड़े भूस्खलन हो चुके हैं। बारिश के मौसम में तो यह रास्ता और खतरनाक हो जाता है।" उन्होंने यह भी कहा कि यमुनोत्री धाम की यात्रा के लिए यह पैदल मार्ग बेहद जरूरी है, लेकिन इसकी सुरक्षा को लेकर प्रशासन को और ध्यान देना चाहिए।
यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा का पहला पड़ाव है, और हर साल मई से अक्टूबर तक लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। नौ कैंची इस मार्ग का एक ऐसा हिस्सा है, जहां से पैदल यात्रियों को यमुनोत्री मंदिर तक पहुंचने के लिए गुजरना पड़ता है। इस हादसे ने यात्रा की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बचाव कार्य: हर मिनट कीमती
बचाव दल दिन-रात मलबे को हटाने और फंसे हुए लोगों तक पहुंचने की कोशिश में जुटे हैं। मौके पर मौजूद एक SDRF अधिकारी ने बताया, "मलबा काफी भारी है, फिर भी, हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए।" उन्होंने यह भी कहा कि बचाव कार्य में मशीनों के साथ-साथ मैनुअल तरीकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि मलबे को सावधानी से हटाया जा सके।
पुलिस और प्रशासन ने इलाके को सील कर दिया है, ताकि बचाव कार्य में कोई बाधा न आए। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमारी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालना है। इसके लिए हम दिन-रात काम कर रहे हैं। मौसम खराब होने की वजह से हमें और सावधानी बरतनी पड़ रही है।"
प्रशासन की अपील: सावधानी बरतें
जिला प्रशासन ने यात्रियों और स्थानीय लोगों से अपील की है कि वह भूस्खलन प्रभावित इलाके में जाने से बचें। प्रशासन ने यह भी कहा कि यमुनोत्री मार्ग पर अन्य जगहों पर निगरानी बढ़ा दी गई है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। जिलाधिकारी ने कहा, "हमारी टीमें पूरी तरह से अलर्ट हैं। यात्रियों से अनुरोध है कि वह मौसम की जानकारी लेने के बाद ही यात्रा शुरू करें और प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन करें।"
प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। SDRF अधिकारी ने कहा, "हम हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द निकाला जाए। इसके साथ ही, हम यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहे हैं।"
फिलहाल, सभी की नजरें बचाव कार्य पर टिकी हैं। प्रशासन और बचाव दलों की कोशिश है कि मलबे में फंसे लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकाला जाए। यह हादसा न केवल यमुनोत्री यात्रा की सुरक्षा पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि पहाड़ी इलाकों में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।