यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिए होने वाले बड़े लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शुल्क लगाने की खबरों को वित्त मंत्रालय ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। बुधवार को मंत्रालय ने इन खबरों को गलत और भ्रामक बताया। मंत्रालय का कहना है कि सोशल मीडिया और कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर फैल रही ऐसी अफवाहें लोगों में बेवजह डर और भ्रम पैदा कर रही हैं।
वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यूपीआई को मुफ्त और आसान रखने का मकसद है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करें। मंत्रालय ने कहा, "यूपीआई लेनदेन पर MDR शुल्क लगाने की कोई योजना नहीं है। ऐसी खबरें बेबुनियाद हैं और इनका कोई आधार नहीं है।"
UPI से लगातार बढ़ रहा लेन-देन
यूपीआई आज भारत में डिजिटल पेमेंट का सबसे बड़ा जरिया बन चुका है। नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के मुताबिक, फरवरी 2025 में यूपीआई के जरिए 16 अरब लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य करीब 22 लाख करोड़ रुपये था। पिछले साल फरवरी 2024 की तुलना में यह आंकड़ा 20% ज्यादा है, जब 1210 करोड़ लेनदेन के जरिए 18.28 लाख करोड़ रुपये का ट्रांसफर हुआ था।पिछले पांच सालों में यूपीआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। 2019-20 से 2024-25 के बीच यूपीआई लेनदेन में हर साल औसतन 72% की वृद्धि हुई है। आज देश में करीब 45 करोड़ लोग यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। हाल ही में 5.5 करोड़ नए दुकानदार भी यूपीआई से जुड़े हैं। पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में यूपीआई लेनदेन का कुल मूल्य 30% बढ़कर 261 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, और लेनदेन की संख्या 42% बढ़कर 18,586 करोड़ हो गई।
MDR शुल्क क्या है?
MDR यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह शुल्क है, जो व्यापारी बैंकों या पेमेंट प्लेटफॉर्म को लेनदेन के लिए चुकाते हैं। पहले यह शुल्क यूपीआई और RuPay डेबिट कार्ड लेनदेन पर भी लागू था, लेकिन 2022 में सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए इसे हटा दिया था। हाल ही में कुछ खबरों में दावा किया गया कि सरकार बड़े व्यापारियों, जिनका सालाना कारोबार 40 लाख रुपये से ज्यादा है, पर MDR शुल्क फिर से लागू कर सकती है। लेकिन वित्त मंत्रालय ने इन दावों को सिरे से नकार दिया।लोगों में क्यों फैला भ्रम?
पिछले कुछ महीनों में यूपीआई और RuPay कार्ड पर MDR शुल्क लगाने की चर्चा कई बार उठी। मार्च 2025 में पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यूपीआई लेनदेन पर 0.3% MDR शुल्क लगाने की मांग की थी। इसके अलावा, कुछ बैंकों और फिनटेक कंपनियों ने भी इस शुल्क को फिर से लागू करने की वकालत की थी, क्योंकि मुफ्त यूपीआई सेवाओं की वजह से उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। इन खबरों ने लोगों में यह धारणा बना दी कि सरकार शुल्क लगाने की तैयारी कर रही है।यूपीआई की चुनौतियां
यूपीआई की लोकप्रियता के साथ कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं। हाल ही में यूपीआई सेवाएं कई बार बाधित हुईं, जैसे 26 मार्च, 1 अप्रैल और 12 अप्रैल को। इससे लाखों लोगों को पेमेंट करने में दिक्कत हुई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस मुद्दे पर NPCI और RBI के साथ बैठक की और यूपीआई सिस्टम को और मजबूत करने के निर्देश दिए।इसके अलावा, यूपीआई फ्रॉड के मामले भी बढ़े हैं। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 की पहली तिमाही में 62,350 यूपीआई फ्रॉड की शिकायतें थीं, जो दूसरी तिमाही में बढ़कर 84,145 हो गईं। लोग फर्जी लिंक, स्क्रीन मिररिंग ऐप्स और फिशिंग स्कैम का शिकार हो रहे हैं। NPCI और बैंक लगातार लोगों को जागरूक करने की कोशिश कर रहे हैं कि अपना UPI PIN किसी के साथ साझा न करें।
UPI को लेकर सरकार का रुख
वित्त मंत्रालय ने दोहराया है कि यूपीआई को मुफ्त और सुलभ बनाए रखना सरकार की प्राथमिकता है। डिजिटल इंडिया के तहत यूपीआई ने छोटे व्यापारियों से लेकर आम लोगों तक को जोड़ा है। सरकार का मानना है कि यूपीआई न केवल आर्थिक लेनदेन को आसान बनाता है, बल्कि औपचारिक अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।लोगों से अपील की जा रही है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल आधिकारिक सूत्रों से जानकारी लें। अगर आपके मन में यूपीआई या MDR शुल्क को लेकर कोई सवाल है, तो आप वित्त मंत्रालय या NPCI की वेबसाइट पर जाकर सही जानकारी हासिल कर सकते हैं।