अयोध्या: राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के पवित्र मौके को ठगों ने भी नहीं छोड़ा। राम मंदिर के प्रसाद भेजने के नाम पर एक बड़े साइबर घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें 6 लाख से ज्यादा लोगों से करीब 3.85 करोड़ रुपये की ठगी की गई। इस मामले का मुख्य आरोपी आशीष सिंह गाजियाबाद का रहने वाला बताया जा रहा है, जिसका परिवार वहां के इंदिरापुरम इलाके में विंडसोर पार्क की एक सोसायटी में फ्लैट में रहता है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि पड़ोसियों का कहना है कि इस फ्लैट में कोई दिखता ही नहीं।
कैसे हुआ ये घोटाला?
पुलिस जांच के मुताबिक, आशीष ने 'khadiorganic.com' नाम की एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी। इस वेबसाइट पर राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रसाद, मंदिर का मॉडल और स्मारक सिक्के घर पहुंचाने का लुभावना ऑफर दिया गया था। भारतीय लोगों से 51 रुपये और विदेशी नागरिकों से 11 डॉलर की 'सुविधा फीस' ली गई। हजारों लोग, खासकर छोटे शहरों और गांवों के भक्त, इस ऑफर के चक्कर में फंस गए। कई लोगों ने सोचा कि छोटी रकम है, तो शिकायत करने की जरूरत नहीं, जिसके चलते ये ठगी लंबे समय तक पकड़ में नहीं आई।
सोसायटी में हलचल,
फ्लैट पर रहस्यजांच में पता चला कि आशीष का परिवार गाजियाबाद के इंदिरापुरम में विंडसोर पार्क सोसायटी में एक फ्लैट में रहता है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इस फ्लैट में कोई आता-जाता नहीं दिखता। एक पड़ोसी ने बताया, "हमने सुना है कि फ्लैट किसी आशीष सिंह के नाम पर है, लेकिन उसे या उसके परिवार को यहां कभी देखा नहीं। फ्लैट ज्यादातर बंद रहता है।" इस रहस्यमयी फ्लैट ने पुलिस की जांच को और पेचीदा कर दिया है।
पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई
अयोध्या साइबर क्राइम पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। साइबर थाना प्रभारी मोहम्मद अरशद की अगुवाई में पुलिस ने आशीष को 13 जनवरी 2024 को गिरफ्तार कर लिया, जब वह मामले को सुलझाने के लिए अयोध्या पहुंचा था। पुलिस को उसके पास से एक लैपटॉप, दो आईफोन, पासपोर्ट, 13,970 रुपये नकद, वाशिंगटन का ड्राइविंग लाइसेंस और कई डेबिट कार्ड मिले। आशीष ने खुद को अमेरिका के नॉर्थ ईस्टर्न यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर बताया, लेकिन पुलिस को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ।
पीड़ितों को वापस मिले पैसे
अयोध्या पुलिस ने तेजी दिखाते हुए 3.72 लाख पीड़ितों के खातों में 2.15 करोड़ रुपये वापस करा दिए हैं। बाकी 1.70 करोड़ रुपये की रकम भी जल्द लौटाने की कोशिश जारी है। पुलिस ने पेटीएम, फोनपे, मोबिक्विक जैसे पेमेंट गेटवे और बैंकों के साथ मिलकर ठगी की रकम को सीज किया। अयोध्या के एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने इसे 'आस्था पर आधारित ठगी' करार देते हुए साइबर क्राइम टीम की तारीफ की और लोगों से अपील की कि वे किसी भी ऑनलाइन ऑफर पर आंख मूंदकर भरोसा न करें।
लोगों में गुस्सा, सतर्क रहने की जरूरत
इस घोटाले ने न सिर्फ भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई, बल्कि कई परिवारों को आर्थिक नुकसान भी हुआ। एक पीड़ित ने बताया, "हमने 51 रुपये दिए थे, सोचा छोटी रकम है, शिकायत का क्या फायदा। लेकिन अब पता चला कि हम जैसे लाखों लोग ठगे गए।" पुलिस ने लोगों से सलाह दी है कि किसी भी धार्मिक ऑफर या वेबसाइट पर पैसे देने से पहले उसकी सच्चाई जरूर जांच लें।
आगे क्या?
यह मामला धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ का बड़ा उदाहरण है। आशीष के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), आईटी एक्ट की धारा 66D और पासपोर्ट अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस घोटाले में और लोग शामिल थे। साथ ही, गाजियाबाद के उस फ्लैट की तलाशी भी तेज कर दी गई है,
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