पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को भारत के साथ सभी लंबे मुद्दों पर बातचीत शुरू करने की इच्छा जाहिर की है। इन मुद्दों में जम्मू-कश्मीर, सिंधु जल संधि, व्यापार, और आतंकवाद से निपटने जैसे अहम मुद्दे शामिल हैं। यह बयान शहबाज शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान दिया। इसकी जानकारी सरकारी चैनल ‘पाकिस्तान टेलीविजन’ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के जरिए साझा की। यह बयान दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बीच एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

भारत-पाकिस्तान का रिश्तों

 
भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते आजादी के बाद से ही जटिल और उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। 1947 में बंटवारे के बाद से दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध और तनाव की स्थिति देखी गई है। जम्मू-कश्मीर का मुद्दा इनमें सबसे अहम  रहा है। दोनों देश जम्मू कश्मीर पर अपना दावा करते हैं, और इस वजह से 1947-48, 1965, और 1999 में कारगिल युद्ध जैसे टकराव हो चुके हैं। इसके अलावा, सीमा पर तनाव, आतंकवादी हमले, और कूटनीतिक गतिरोध ने दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को और गहरा किया है।

2019 में भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए। पाकिस्तान ने इस कदम का कड़ा विरोध किया और इसे संयुक्त राष्ट्र सहित कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया।


शहबाज शरीफ का बयान: क्या है इसमें खास?


शहबाज शरीफ ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो के साथ बातचीत में भारत के साथ रिश्तों को बेहतर करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को विशेष रूप से उठाया, जो दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा विवाद रहा है। शहबाज ने कहा कि इस मुद्दे पर खुली बातचीत और चर्चा से ही समाधान निकाला जा सकता है।

इसके अलावा, उन्होंने सिंधु जल संधि पर भी जोर दिया। यह संधि 1960 में विश्व बैंक की देख रेख में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जो दोनों देशों के बीच जल बंटवारे को नियंत्रित करती है। वर्षों में इस संधि को लेकर भी कई बार तनाव देखा गया है, खासकर जब भारत ने जम्मू-कश्मीर में कुछ जल परियोजनाओं की घोषणा की थी। शहबाज ने कहा कि इस संधि से जुड़े मुद्दों पर भी बातचीत जरूरी है ताकि दोनों देशों के हितों का ध्यान रखा जा सके।

आतंकवाद के खिलाफ सहयोग एक और अहम बिंदु था, जिसे शहबाज ने उठाया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और इसे रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान को मिलकर काम करना चाहिए। यह बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत ने बार-बार पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। 2008 के मुंबई हमले और 2016 के पठानकोट हमले जैसे आतंकी घटनाओं के बाद भारत ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाता, तब तक बातचीत का माहौल बनना मुश्किल है।

शहबाज ने व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने की भी बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ने से न केवल आर्थिक विकास होगा, बल्कि लोगों के बीच आपसी समझ और भरोसा भी बढ़ेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पहले भी होता रहा है, लेकिन 2019 के बाद से यह लगभग बंद हो चुका है। शहबाज का यह बयान व्यापार को फिर से शुरू करने की दिशा में एक संकेत हो सकता है।


क्या है सिंधु जल संधि और क्यों है यह अहम?

सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक समझौता है, इसके तहत सिंधु नदी  की 6 नदियों— सतलुज, व्यास, रावी, सिंधु, चिनाब, और झेलम— का पानी दोनों देशों के बीच बांटा गया। भारत को पूर्वी नदियों (सतलुज, व्यास, और रावी) पर पूरा नियंत्रण दिया गया, जबकि पश्चिमी नदियों (सिंधु, चिनाब, और झेलम) का पानी मुख्य रूप से पाकिस्तान को मिला। हालांकि, भारत को पश्चिमी नदियों पर सीमित उपयोग, जैसे बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए,अनुमति है।
वर्षों में इस संधि को लेकर कई बार विवाद हुआ है। भारत ने जम्मू-कश्मीर में कुछ जलविद्युत परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनका पाकिस्तान ने विरोध किया है। पाकिस्तान का दावा है कि ये परियोजनाएं संधि का उल्लंघन करती हैं, जबकि भारत का कहना है कि वह संधि के दायरे में ही काम कर रहा है।