मथुरा के गोविंद नगर इलाके में शाहगंज दरवाजे के पास रविवार दोपहर एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां एक टीले की मिट्टी अचानक धंसने से आसपास के कई मकानों के हिस्से ढह गए, जिसके मलबे में कई मजदूर दब गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब टीले के पास दीवार बनाने का काम चल रहा था। लोगों का कहना है, अचानक मिट्टी खिसकने से मकानों की दीवारें और छतें भरभराकर गिर पड़ीं, जिससे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।

स्थानीय लोगों ने बताया कि हादसे की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के घरों में रहने वाले लोग तुरंत बाहर निकल आए। धूल का गुबार और मलबे का ढेर देखकर लोग हैरान रह गए। हादसे में कई मजदूर, जो दीवार निर्माण के काम में लगे थे, मलबे में फंस गए। कुछ लोग तो चीखते-चिल्लाते सुनाई दिए, जिसके बाद स्थानीय निवासियों ने तुरंत पुलिस और दमकल विभाग को सूचना दी।


राहत और बचाव

 सूचना मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गईं। राहत और बचाव  तेजी से शुरू किया गया। जेसीबी मशीनों, क्रेन और अन्य साधनों की मदद से मलबे को हटाने का काम चल रहा है। अभी तक कुछ मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, घायलों की हालत स्थिर है, लेकिन कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।

 पुलिस अधीक्षक (SP) राकेश कुमार ने बताया, "हमारी प्राथमिकता मलबे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालना है। बचाव कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही। NDRF की एक टीम को भी बुलाया गया है, जो जल्द ही मौके पर पहुंचेगी।" उन्होंने लोगों से अपील की कि वे हादसे वाली जगह पर भीड़ न लगाएं और NDRF को अपना काम करने दें।


आस पास के लोगों का दर्दनाक बयान

हादसे के चश्मदीद रमेश चौरसिया, जो पास ही किराने की दुकान चलाते हैं, उन्होंने बताया, "मैं अपनी दुकान पर था, तभी अचानक जोरदार आवाज आई। ऐसा लगा जैसे कोई बड़ा धमाका हुआ हो। बाहर निकला तो देखा कि धूल का गुबार छाया हुआ था और मकानों का मलबा बिखरा पड़ा था। कुछ मजदूर मलबे में फंसे हुए चीख रहे थे। हमने तुरंत मदद शुरू की और पुलिस को फोन किया।"


हादसे की वजह क्या?

जानकारी के अनुसार, हादसा टीले के पास दीवार बनाने के दौरान मिट्टी के अचानक खिसकने से हुआ। स्थानीय लोगों का कहना है कि टीले की मिट्टी पहले से ही कमजोर थी और हाल ही में हुए हुई बारिश ने इसे और ढीला कर दिया था। कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई और मिट्टी की मजबूती की जांच किए बिना काम शुरू कर दिया गया।

जिला प्रशासन ने हादसे की जांच के लिए एक कमेटी बनाया  है, जो यह पता लगाएगी कि हादसे की असल वजह क्या थी। साथ ही, यह भी जांच की जाएगी कि क्या निर्माण कार्य के लिए जरूरी अनुमति ली गई थी और क्या सुरक्षा नियमों का पालन किया गया था।


इलाके में दुख और डर का माहौल

हादसे के बाद गोविंद नगर और शाहगंज दरवाजे के आसपास के इलाकों में दुख और डर का माहौल है। कई परिवार अपने परिजनों की सलामती के लिए दुआएं मांग रहे हैं। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि टीले के आसपास बने कमजोर मकानों की जांच की जाए और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

 एक महिला, जिनका घर हादसे वाली जगह से कुछ ही दूरी पर है, उन्होंने कहा, "हम लोग अब डर में जी रहे हैं। अगर टीले की मिट्टी फिर से खिसकी, तो हमारे मकान भी गिर सकते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस इलाके को सुरक्षित करे।"


प्रशासन का आश्वासन

जिलाधिकारी ने हादसे पर दुख जताते हुए प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। उन्होंने कहा, "हमारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें अस्थायी आवास और अन्य जरूरी सहायता दी जाएगी।" साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि हादसे की वजह का पता लगाने के बाद जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह हादसा मथुरा में अवैध निर्माण और लापरवाही का एक और उदाहरण बन गया है। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि टीले जैसे संवेदनशील इलाकों में निर्माण कार्य से पहले पूरी जांच की जाए और सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन हो। साथ ही, पुराने और कमजोर मकानों को चेक  कर उनके दुबारा निर्माण या मरम्मत की व्यवस्था की जाए।

 फिलहाल, राहत और बचाव कार्य पूरे जोर-शोर से चल रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और शांति बनाए रखने की अपील की है। मथुरा के इस हादसे ने एक बार फिर शहर के बुनियादी ढांचे और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।