महाराष्ट्र के पुणे जिले में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब मावल तालुका के कुंदमाला इलाके में इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना लोहे का पुल अचानक ढह गया। इस हादसे में अब तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा लोगों के नदी में बह जाने की आशंका जताई जा रही है। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), और स्थानीय लोग बचाव कार्य में जुट गए हैं।


क्यों और कैसे हुआ हादसा?

यह हादसा रविवार दोपहर करीब 3:30 से 4:00 बजे के बीच हुआ। कुंदमाला, तलेगांव दाभाड़े के पास एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जहां मानसून के दौरान लोग नदी और आसपास के झरनों का नजारा देखने आते हैं। रविवार होने की वजह से पुल पर 100 से 120 लोग मौजूद थे, जिनमें से कई पर्यटक फोटो खींच रहे थे और नदी के तेज बहाव का आनंद ले रहे थे। बताया जा रहा है कि यह पुल 30 साल पुराना था और पहले से ही जर्जर हालत में था। हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने नदी का जलस्तर बढ़ा दिया, जिसके तेज बहाव और पुल की कमजोर स्थिति ने इस हादसे को जन्म दिया।


स्थानीय लोगों के मुताबिक, प्रशासन ने इस पुल को कुछ महीने पहले वाहनों के लिए बंद कर दिया था, लेकिन इसे पूरी तरह से सील नहीं किया गया था। नतीजतन, लोग इस पर चढ़कर नदी का नजारा देखने पहुंच रहे थे। कुछ लोग अपने दोपहिया वाहनों के साथ भी पुल पर थे, जिससे पुल पर अतिरिक्त भार पड़ा और यह ढह गया

बचाव कार्य में चुनौतियां

हादसे की खबर मिलते ही पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस, तलेगांव दाभाड़े पुलिस, और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। स्थानीय गोताखोरों और आपदा राहत कर्मियों ने भी बचाव कार्य शुरू किया। अब तक 6 से 7 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। 32 लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें से 6 की हालत गंभीर है। नदी का तेज बहाव और अंधेरा होने की वजह से बचाव कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। प्रशासन ने 20-22 एंबुलेंस और फायर टेंडर नावों को मौके पर तैनात किया है।


प्रशासन की लापरवाही पर सवाल

स्थानीय लोगों ने इस हादसे के लिए प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि पुल की खराब हालत के बारे में पहले भी कई बार शिकायत की गई थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। एक स्थानीय निवासी ने कहा, "अगर पुल को पूरी तरह बंद कर दिया गया था, तो वहां कोई निगरानी क्यों नहीं थी? लोग वहां जा रहे थे, लेकिन कोई रोकने वाला तक नहीं था।" इस हादसे के बाद इलाके में गुस्सा और डर का माहौल है।


नेताओं और प्रशासन का बयान

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "पुणे जिले के तलेगांव के पास इंद्रायणी नदी पर बने पुल के ढहने की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस घटना में 2 लोगों की मौत हो गई है। मैं उनके परिवारों के दुख में शामिल हूं। एनडीआरएफ और अन्य टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी और मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो इस समय साइप्रस की यात्रा पर हैं, ने भी मुख्यमंत्री फडणवीस से फोन पर बात कर हादसे की जानकारी ली और प्रभावित लोगों की मदद के लिए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने भी इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सभी नागरिकों की सुरक्षा की कामना की।


क्या कहते हैं प्रत्यक्षदर्शी?

हादसे के समय मौके पर मौजूद एक पर्यटक ने बताया, "हम फोटो खींच रहे थे, तभी अचानक तेज आवाज के साथ पुल का एक हिस्सा टूट गया। लोग चीखने-चिल्लाने लगे और कुछ ही सेकंड में कई लोग नदी में बह गए। कुछ लोग पत्थरों पर गिरे, जिन्हें गंभीर चोटें आईं।" प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हादसा इतना अचानक हुआ कि किसी को संभलने का मौका तक नहीं मिला।


आगे भी जारी चुनौती

पुणे और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश हो रही है, जिसके चलते इंद्रायणी नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। साथ ही, अन्य पुराने पुलों और ढांचों की जांच शुरू कर दी गई है ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को रोका जा सके।

इस हादसे ने एक बार फिर पुराने ढांचों की मरम्मत और सुरक्षा की जरूरत को उजागर किया है। स्थानीय लोग और पर्यटक अब प्रशासन से यह मांग कर रहे हैं कि पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।