शुक्रवार को इजरायल ने ईरान के नाभिकीय और सैन्य ठिकानों पर बड़े हमले किए, जिसके बाद ईरान ने अपने एयरस्पेस को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया। इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, और भारत के लिए यह परेशानी और भी बड़ी है क्योंकि पाकिस्तान का हवाई क्षेत्र पहले से ही भारतीय विमानों के लिए बंद है। इस दोहरे संकट ने एयर इंडिया समेत तमाम भारतीय विमान कंपनियों के सामने वित्तीय और लॉजिस्टिक चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।
क्यों बढ़ी मुश्किलें?
ईरान का हवाई क्षेत्र भारत से यूरोप, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों को जोड़ने वाला एक अहम रास्ता है। आमतौर पर भारतीय विमान कंपनियां इस रास्ते का इस्तेमाल अपनी लंबी दूरी की उड़ानों के लिए करती हैं। लेकिन अब ईरान के एयरस्पेस बंद होने से विमानों को लंबा चक्कर काटकर जाना पड़ रहा है। इससे न सिर्फ उड़ान का समय बढ़ गया है, बल्कि ईंधन की खपत भी काफी बढ़ गई है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने 2019 के बाद से भारतीय उड़ानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर रखा है, जिसके चलते भारत के पास रास्ते के लिए विकल्प और भी कम हो गए हैं।
एयर इंडिया की 16 उड़ानें प्रभावित
एयर इंडिया ने शुक्रवार को बताया कि ईरान के हवाई क्षेत्र बंद होने की वजह से उसकी 16 लंबी दूरी की उड़ानों को या तो रास्ता बदलना पड़ा या उन्हें वापस बुलाना पड़ा। इनमें दिल्ली से न्यूयॉर्क, मुंबई से लंदन और दिल्ली से वाशिंगटन जैसी उड़ानें शामिल हैं। लंदन हीथ्रो से मुंबई जा रही फ्लाइट को वियना की ओर मोड़ा गया, जबकि न्यूयॉर्क से दिल्ली वाली फ्लाइट को शारजाह ले जाया गया। एयर इंडिया ने कहा कि वह यात्रियों को उनके मंजिल तक पहुंचाने के लिए वैकल्पिक रास्तों की व्यवस्था कर रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी और लागत दोनों बढ़ रही हैं।
इंडिगो भी प्रभावित
एयर इंडिया के अलावा, इंडिगो जैसी अन्य भारतीय विमान कंपनियां भी इस संकट से जूझ रही हैं। इंडिगो ने अपने यात्रियों को सूचित किया है कि ईरान और आसपास के हवाई क्षेत्र बंद होने से कुछ उड़ानों में देरी हो सकती है या उन्हें रद्द करना पड़ सकता है। इससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वित्तीय और लॉजिस्टिक चुनौतियां
लंबे रास्तों का इस्तेमाल करने से ईंधन की लागत बढ़ने के साथ-साथ विमानों का रखरखाव और क्रू मेंबर्स की ड्यूटी का समय भी प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो विमान कंपनियों को टिकट की कीमतें बढ़ानी पड़ सकती हैं, जिसका बोझ आखिरकार यात्रियों पर ही पड़ेगा। इसके अलावा, उड़ानों की समय-सारिणी में बदलाव और रद्द होने से यात्रियों का भरोसा भी कम हो सकता है।
यात्रियों की परेशानी
ईरान के एयरस्पेस बंद होने का सबसे ज्यादा असर उन यात्रियों पर पड़ रहा है जो यूरोप, अमेरिका या कनाडा की यात्रा कर रहे हैं। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार को कई यात्रियों ने अपनी उड़ानों में देरी या रद्द होने की शिकायत की। एक यात्री, रोहित शर्मा ने बताया, "मेरी लंदन की फ्लाइट को बीच रास्ते से वापस दिल्ली लाया गया। अब हमें दूसरी फ्लाइट का इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल रही।"
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विमान विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक रास्तों पर ध्यान देना होगा। सऊदी अरब, ओमान और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के हवाई क्षेत्र का ज्यादा इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इन रास्तों पर पहले से ही काफी ट्रैफिक है। साथ ही, भारत सरकार और विमान कंपनियों को मिलकर एक आपातकालीन योजना तैयार करने की जरूरत है ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से निपटा जा सके।