इंडिगो एयरलाइंस में ट्रेनी पायलट के तौर पर काम करने वाले 35 साल के एक व्यक्ति ने कंपनी के तीन सीनियर अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अनुसूचित जाति (SC) से ताल्लुक रखने वाले इस पायलट ने दावा किया है कि उनके साथ जातिगत भेदभाव किया गया, शिकायत के आधार पर गुरुग्राम पुलिस ने इंडिगो के अधिकारियों—तपस डे, मनीष साहनी और कैप्टन राहुल पाटिल के खिलाफ SC-ST के तहत FIR दर्ज की है। यह मामला न केवल इंडिग पर सवाल उठा रहा है, बल्कि कॉरपोरेट में जातिगत भेदभाव जैसे मुद्दे को भी सामने ला रहा है।
पूरा मामला क्या है?
ट्रेनी पायलट ने अपनी शिकायत में बताया कि वह बेंगलुरु के शोभा सिटी सेंटोरिनी में रहते हैं और इंडिगो एयरलाइंस में पायलट की ट्रेनिंग ले रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले कुछ महीनों से उनके साथ लगातार भेदभाव हो रहा था। तीनों आरोपी अधिकारियों तपस डे, मनीष साहनी और कैप्टन राहुल पाटिल ने जाति को लेकर बार-बार ताने मारे और उन्हें अपमानित किया।
पायलट ने एक खास घटना का जिक्र किया, जिसमें एक मीटिंग के दौरान, जिसमें कई कर्मचारी और सीनियर अधिकारी मौजूद थे, तपस डे ने कहा, “तुम जैसे लोग प्लेन उड़ाने के लिए नहीं बने, जाओ अपनी औकात में रहो।” इस के बाद मनीष साहनी और कैप्टन राहुल पाटिल ने भी हंसते हुए उनकी जाति से जुड़ी बातें कही। पायलट के अनुसार, इस घटना ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी।
उनका यह भी आरोप है कि बिना किसी ठोस कारण के उनकी सैलरी काटी गई,पायलट ने कहा, मैंने दिन-रात मेहनत की ताकि एक अच्छा पायलट बन सकूं, लेकिन मुझे मेरी जाति के आधार पर नीचा दिखाया गया।
कंपनी में शिकायत, लेकिन कोई सुनवाई नहीं
पायलट ने बताया कि उन्होंने इस के खिलाफ इंडिगो के (HR) विभाग और कंपनी से लिखित शिकायत की। उन्होंने उम्मीद की थी कि कंपनी उनके साथ हुए अन्याय की जांच करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। लेकिन, उनके मुताबिक, उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया। HR ने उनकी बात को “गलतफहमी” करार दिया और कहा कि वह मामले को सुलझा लेंगे।
पायलट ने कहा, “मैंने कई बार HR को ईमेल लिखे, सबूत जमा किए, लेकिन हर बार मुझे यही जवाब मिला कि ‘हम देख रहे हैं।’ आखिरकार, मुझे एहसास हुआ कि कंपनी मेरे साथ इंसाफ नहीं करेगी।” निराश होकर उन्होंने कानूनी रास्ता अपनाने का फैसला किया।
पुलिस में शिकायत और FIR
पायलट ने सबसे पहले के बंगलौर थाना पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जहां ‘जीरो FIR’ दर्ज की गई। मामला गुरुग्राम में इंडिगो के कार्यालय से जुड़ा था, इसलिए केस को गुरुग्राम के DLF-1 पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर कर दिया गया। पुलिस ने शिकायत की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की और SC-ST अधिनियम की धारा 3(1)(आर) और 3(1)(एस) के तहत FIR दर्ज की।
इन धाराओं में सार्वजनिक स्थान पर अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को अपमानित करने, उनकी जाति के आधार पर ताने मारने या भेदभाव करने की सजा का प्रावधान है। सजा में सात साल तक की जेल और जुर्माना शामिल हो सकता है। पुलिस ने बताया कि वह जल्द ही आरोपियों से पूछताछ करेगी और मामले की जांच की जाएगी।
इंडिगो का रुख और सवालों का घेरा
इस मामले में इंडिगो एयरलाइंस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। कंपनी की चुप्पी ने इस मामले को और भी बड़ा बना दिया है। सोशल मीडिया पर लोग इंडिगो में काम और कर्मचारियों के साथ व्यवहार पर सवाल उठा रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि अगर इतने गंभीर आरोप सही हैं, तो कंपनी को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
एक ट्वीट में यूजर ने लिखा, “इंडिगो जैसी बड़ी कंपनी में अगर कर्मचारी के साथ जाति भेदभाव हो रहा है, तो यह शर्मनाक है। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।” वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि मामले की जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आए।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारत में जातिगत भेदभाव अभी भी एक कड़वी सच्चाई है। चाहे गांव हो या शहर, स्कूल हो या दफ्तर, यह समस्या हर जगह मौजूद है। ऐसे में, समाज, सरकार और कॉरपोरेट सेक्टर को मिलकर इस मुद्दे से निपटना होगा। ट्रेनी पायलट की यह लड़ाई सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन सभी लोगों की है जो अपने सम्मान और हक के लिए आवाज उठाते हैं।