गुजरात के बोटाद जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल सड़कों और गांवों को जलमग्न कर दिया, बल्कि एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे क्षेत्र को सदमे में डाल दिया। बोटाद जिले के लाठीदड़ गांव के पास एक इको कार नदी के तेज बहाव में बह गई, जिसमें सवार 9 लोगों में से 4 की मौत हो गई, 2 को बचा लिया गया, जबकि 3 लोग अभी भी लापता हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और स्थानीय प्रशासन लापता लोगों की तलाश में दिन-रात जुटे हैं, लेकिन भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात ने बचाव कार्य को बेहद मुश्किल कर दिया है।
क्या हुआ उस दिन?
यह दुखद घटना 17 जून 2025 की सुबह की है, जब बोटाद जिले के लाठीदड़ और सगवडार गांवों के बीच एक नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, उस समय बारिश इतनी तेज थी कि सड़कों पर पानी का तेज बहाव था। इस बीच, एक इको कार, जो संभवतः एक साझा टेंपो के रूप में इस्तेमाल हो रही थी, नदी के ऊपर बने रास्ते को पार करने की कोशिश कर रही थी। कार में 9 लोग सवार थे, जिनमें 6 महिलाएं और 3 पुरुष शामिल थे।
जैसे ही कार नदी के बीच पहुंची, पानी का बहाव इतना तेज था कि कार को अपने साथ बहा ले गया। आस पास के लोगों ने बताया कि कार कुछ ही सेकंड में पानी में डूब गई, और उसमें सवार लोगों की चीख-पुकार सुनाई दी। आसपास के कुछ लोग तुरंत मदद के लिए दौड़े, लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि कोई भी कार के पास नहीं पहुंच सका।
स्थानीय लोगों की सूचना पर तुरंत पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। इस बीच, दो पुरुषों—प्रियांकभाई चौहान और यशवंत—को स्थानीय लोगों ने किसी तरह बचा लिया। दोनों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। लेकिन बाकी 7 लोग पानी के तेज बहाव में बह गए।
बचाव कार्य शुरू, लेकिन मस्किलें बरकरार
घटना की सूचना मिलते ही बोटाद जिला प्रशासन ने तुरंत NDRF की एक टीम को बुलाया। एनडीआरएफ की 6वीं बटालियन, वडोदरा के टीम कमांडर इंस्पेक्टर विनय कुमार भाटी ने बताया, "हमें सुबह जानकारी मिली कि बोटाद में कुछ लोग फंसे हुए हैं। हमारी टीम तुरंत राजकोट से रवाना हुई, लेकिन रास्ते में भारी जलभराव और सड़कों के बंद होने के कारण हमें बोटाद पहुंचने में देरी हुई।"
NDRF की टीम रात 7:30 बजे घटनास्थल पर पहुंची और तुरंत बचाव कार्य शुरू किया। रात 11:30 बजे तक चले इस अभियान में चार लोगों के शव बरामद किए गए, जिनमें तीन महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे। लेकिन बाकी तीन लोग अभी भी लापता हैं। भाटी ने बताया, "हमारी टीम लगातार काम कर रही है, लेकिन भारी बारिश और तेज बहाव के कारण हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।"
स्थानीय प्रशासन ने भी बचाव कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी। बोटाद की एसडीएम आरती गोस्वामी ने कहा, "हमारी पूरी कोशिश है कि लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढ लिया जाए। एनडीआरएफ के साथ-साथ स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवक भी इस अभियान में मदद कर रहे हैं।"
भारी बारिश ने बढ़ाई मुसीबत
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र, खासकर बोटाद, भावनगर, अमरेली और सुरेंद्रनगर जिलों में पिछले तीन दिनों से भारी बारिश हो रही है। बोटाद जिले के बरवाला तालुका में 24 घंटे में 191 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य से कई गुना ज्यादा है। इस बारिश ने न केवल सड़कों और खेतों को जलमग्न कर दिया, बल्कि नदियों और बांधों के जलस्तर को भी खतरनाक स्तर तक बढ़ा दिया।
बोटाद में खंभड़ा बांध के गेट खोलने पड़े, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए। गढ़दा रोड और बोटाद सर्कल के पास भारी जलभराव के कारण यातायात पूरी तरह ठप हो गया। जिला प्रशासन ने बोटाद और भावनगर के सभी स्कूलों को बुधवार तक के लिए बंद कर दिया है।
बोटाद की डीएम जिन्सी रॉय ने बताया, "जिले में रेड अलर्ट जारी है, जो अगले 24 घंटों तक जारी रहेगा। हमने लोगों से अपील की है कि वे नदियों और नालों के पास न जाएं और घरों में सुरक्षित रहें।"
पिपलिया गांव में भी फंसे थे लोग
बोटाद जिले के गढ़दा तालुका के पिपलिया गांव में भी बाढ़ के कारण 22 लोग फंस गए थे। एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त टीम ने रस्सियों की मदद से सभी लोगों को सुरक्षित निकाला। इस बचाव अभियान की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें एनडीआरएफ के जवान जान जोखिम में डालकर लोगों को बचा रहे हैं।
बोटाद जिला प्रशासन ने प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी आश्रय स्थल बनाए हैं, जहां भोजन, पीने का पानी और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। बरवाला तालुका के निचले इलाकों से 40 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 25 जिलों के कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए समीक्षा बैठक की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जान-माल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और प्रभावित लोगों को तुरंत राहत पहुंचाई जाए।
स्थानीय लोगों का दर्द
इस घटना ने लाठीदड़ और आसपास के गांवों में मातम पसार दिया है। मृतकों के परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। एक स्थानीय निवासी रमेश ने बताया, "मेरी बहन और भाभी उस कार में थीं। हमें अभी तक उनकी कोई खबर नहीं मिली। हम बस यही दुआ कर रहे हैं कि वे सही-सलामत मिल जाएं।"
बोटाद में अभी भी बारिश का सिलसिला थमा नहीं है। नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे बचाव कार्य और मुश्किल हो सकता है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों और जलाशयों से दूर रहें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
इस घटना ने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों में कमजोर बुनियादी ढांचे और आपदा प्रबंधन की खामियों को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए नदियों पर बने रास्तों को मजबूत करना, जल निकासी की बेहतर व्यवस्था करना और समय पर चेतावनी जारी करना जरूरी है।