आज देश के चार राज्यों- केरल, पंजाब, पश्चिम बंगाल और गुजरात में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया है। सुबह 7 बजे से ही मतदाता अपने-अपने क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। इन उपचुनावों को लेकर जनता में खासा उत्साह देखा जा रहा है, और सभी राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। चुनाव आयोग ने शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। इन सीटों के नतीजे 23 जून 2025 को घोषित किए जाएंगे, जो इन राज्यों की सियासत पर गहरा असर डाल सकते हैं।
मतदान कहा कहा हो रहा है
ये उपचुनाव विभिन्न कारणों से रिक्त हुई विधानसभा सीटों पर हो रहे हैं। कुछ सीटें विधायकों के निधन के कारण खाली हुईं, तो कुछ इस्तीफे की वजह से। इन सीटों पर होने वाले मतदान का न केवल स्थानीय स्तर पर महत्व है, बल्कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर की राजनीति पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। खासकर केरल और पश्चिम बंगाल में, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ये उपचुनाव सियासी दलों के लिए एक लिटमस टेस्ट की तरह हैं।
गुजरात: दो सीटें—कादी और विसावदर—पर उपचुनाव हो रहा है। कादी सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक करसनभाई पंजाबहाई सोलंकी के निधन के बाद खाली हुई, जबकि विसावदर सीट आम आदमी पार्टी (AAP) के पूर्व विधायक भूपेंद्रभाई गंडूभाई भयानी के इस्तीफे और बाद में बीजेपी में शामिल होने के कारण रिक्त हुई।
केरल: नीलांबुर सीट पर मतदान हो रहा है। यह सीट लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) समर्थित स्वतंत्र विधायक P.V. अनवर के इस्तीफे के बाद खाली हुई, जिन्होंने बाद में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की केरल इकाई के संयोजक के रूप में जिम्मेदारी संभाली।
पंजाब: लुधियाना पश्चिम सीट पर उपचुनाव हो रहा है। यह सीट आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के जनवरी 2025 में निधन के कारण रिक्त हुई।
पश्चिम बंगाल: कालीगंज सीट पर मतदान हो रहा है। यह सीट तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक नसीरुद्दीन अहमद के फरवरी 2025 में दिल का दौरा पड़ने से निधन के बाद खाली हुई थी।
मतदान की प्रक्रिया और व्यवस्था
चुनाव आयोग ने मतदान को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। सभी मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट (वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनें लगाई गई हैं। मतदाताओं की सुविधा के लिए मतदान केंद्रों पर पानी, छाया और बैठने की व्यवस्था की गई है। साथ ही, बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं, जैसे व्हीलचेयर और रैंप की सुविधा।
सुरक्षा के लिहाज से भी कोई कोताही नहीं बरती गई है। संवेदनशील और अतिसंवेदनशील मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ स्थानीय पुलिस की तैनाती की गई है। पश्चिम बंगाल के कालीगंज में 14 केंद्रीय बल इकाइयों को तैनात किया गया है। सभी मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे और वेबकास्टिंग की व्यवस्था है, ताकि मतदान की पूरी प्रक्रिया की निगरानी हो सके।
गुजरात में कादी और विसावदर सीटों पर 294 से 294 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं, और मतदान सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक चलेगा। गुजरात सरकार ने मतदान के दिन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने वोट का इस्तेमाल कर सकें। केरल के नीलांबुर में 2,32,384 मतदाता अपने प्रतिनिधि का चयन करेंगे, जिनमें 1,18,889 महिलाएं, 1,13,486 पुरुष और 9 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं।
राजनीतिक दलों की रणनीति
इन उपचुनावों को सभी राजनीतिक दल एक बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं। खासकर केरल और पश्चिम बंगाल में, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ये उपचुनाव पार्टियों के लिए अपनी ताकत आजमाने का मौका हैं। हर दल ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी। रैलियों, जनसभाओं और डोर-टू-डोर कैंपेन के जरिए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई।
मतदाताओं का जोश
सुबह 7 बजे से ही मतदान केंद्रों पर लोग अपने वोट डालने पहुंच रहे हैं। गुजरात में सार्वजनिक अवकाश के कारण मतदान केंद्रों पर अच्छी भीड़ देखी जा रही है। केरल के नीलांबुर में 263 मतदान केंद्रों पर मतदाता उत्साह के साथ वोट डाल रहे हैं, जिनमें 59 नए केंद्र शामिल हैं। पंजाब के लुधियाना पश्चिम में युवा और पहली बार वोट देने वाले मतदाताओं में खासा जोश देखा जा रहा है। पश्चिम बंगाल के कालीगंज में स्थानीय मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय मसले भी चर्चा में हैं।
नीलांबुर में 3,672 मतदाताओं को घर से वोटिंग की सुविधा दी गई थी, लेकिन केवल 1,254 ने इसका इस्तेमाल किया। मतदाताओं की सुविधा के लिए चुनाव आयोग ने मोबाइल जमा करने की सुविधा भी शुरू की है, ताकि मतदान केंद्रों के बाहर मोबाइल रखने की व्यवस्था हो सके।
नतीजों का महत्व
इन उपचुनावों के नतीजे न केवल इन सीटों की सियासत को प्रभावित करेंगे, बल्कि 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए भी पार्टियों की रणनीति पर असर डाल सकते हैं। केरल में नीलांबुर का उपचुनाव एलडीएफ और यूडीएफ के लिए एक बड़ा टेस्ट है, क्योंकि यह सीट P.V अनवर के इस्तीफे के बाद चर्चा में आई। पश्चिम बंगाल में कालीगंज का नतीजा टीएमसी और बीजेपी के बीच सियासी जंग को और तेज कर सकता है।
पंजाब में आप और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर है। आप अपनी सरकार की उपलब्धियों को भुनाना चाहती है, जबकि कांग्रेस इस सीट को जीतकर अपनी खोई जमीन वापस पाने की कोशिश में है। गुजरात में बीजेपी अपनी मजबूत स्थिति को बनाए रखना चाहती है, लेकिन आप और कांग्रेस की मौजूदगी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है।