Canada के रॉकी माउंटेंस में चल रहे G-7 सम्मेलन में उस वक्त सब हैरान रह गए, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक अपनी यात्रा को छोटा करके अमेरिका लौटने का फैसला किया। इस सम्मेलन में दुनिया के बड़े आर्थिक देशों के नेता इकट्ठा हुए थे, लेकिन ट्रंप के इस कदम ने सभी का ध्यान मध्य पूर्व की ओर खींच लिया। उन्होंने ईरान को सख्त चेतावनी दी कि वह अपना परमाणु हथियार योजनाओं को तुरंत छोड़ दे, और यह भी बताया कि इजरायल ने ईरान पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं।


सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने एक और चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि रूस को फिर से जी-7 समूह में शामिल करना चाहिए, जिसे 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद जी-8 से निकाल दिया गया था। इतना ही नहीं, उन्होंने चीन को भी इस समूह में लाने की बात कही। ट्रंप का कहना था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को जी-8 से निकालना एक बड़ी गलती थी, और वह इस फैसले से काफी नाराज थे। उनके इस बयान ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के सामने खड़े होकर बोलते वक्त माहौल को थोड़ा असहज कर दिया।

ट्रंप ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मुझे जल्दी वापस जाना होगा। मध्य पूर्व में जो कुछ हो रहा है, वह बहुत जरूरी है।" व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा की ट्रंप मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के कारण सम्मेलन को एक दिन पहले छोड़कर वाशिंगटन लौट रहे हैं। ट्रंप ने यह भी कहा कि वह इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लगातार संपर्क में हैं और ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए कड़ा कदमअपनाएंगे। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "ईरान को मेरी दी हुई डील मान लेनी चाहिए थी। अब हालात बहुत खराब हो रहे हैं। तेहरान के लोगों को तुरंत शहर खाली कर देना चाहिए।"

जी-7 सम्मेलन में इस बार मध्य पूर्व का मुद्दा छाया रहा, जो पहले से तय नहीं था। पहले तो उम्मीद थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप के व्यापारिक टैरिफ जैसे मुद्दों पर बात होगी, लेकिन इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते टकराव ने सारी चर्चाओं को अपने इर्द-गिर्द कर लिया। खबरों के मुताबिक, इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने भी इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इन हमलों में दोनों तरफ कई लोगों की जान गई है, और दुनिया भर में तनाव बढ़ गया है।

ट्रंप ने सम्मेलन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक व्यापार समझौते पर भी हस्ताक्षर किए, जिसमें कार और एयरोस्पेस से जुड़े टैरिफ को कम करने की बात है। हालांकि, इस समझौते में स्टील पर टैरिफ शामिल नहीं है, जो ब्रिटेन के लिए अहम है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने ट्रंप के जल्दी जाने के फैसले को समझने योग्य बताया और कहा कि वह मध्य पूर्व की स्थिति को देखते हुए इसकी वजह समझ सकते हैं।

हालांकि, ट्रंप के रवैये ने जी-7 नेताओं के बीच थोड़ी बेचैनी पैदा की। कुछ नेताओं का मानना है कि ट्रंप का ध्यान पूरी तरह सम्मेलन पर नहीं था, और वह अपने बयानों से सुर्खियां बटोरना चाहते थे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप ने इजरायल-ईरान संघर्ष में सीजफायर का प्रस्ताव रखा है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि दोनों देश इसे मानेंगे या नहीं।

इस बीच, ट्रंप के कनाडा को "51वां अमेरिकी राज्य" बनाने और ग्रीनलैंड पर कब्जे की बात करने वाले पुराने बयानों ने भी चर्चा को हवा दी। मैक्रों ने ग्रीनलैंड की यात्रा करके साफ किया कि यह न तो बिकने के लिए है और न ही कोई इसे ले सकता है। कनाडा के लोग भी ट्रंप के बयानों से नाराज दिखे, और स्टार्मर को इस मुद्दे पर चुप रहने के लिए आलोचना झेलनी पड़ी। उनकी अचानक वापसी और मध्य पूर्व पर सख्त बयानबाजी ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या आने वाले दिन और तनावपूर्ण होंगे। दुनिया की नजर अब वाशिंगटन और मध्य पूर्व पर टिकी है, जहां हालात किसी भी वक्त और बिगड़ सकते हैं।