बिहार सरकार ने जमीन से जुड़े मामलों में एक कदम उठाया है, जो आम लोगों की सालों पुरानी परेशानियों को कम करने की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अब जिलाधिकारी (डीएम) को जमीन की रोक सूची में दर्ज खेसरा को हटाने या जोड़ने का पूरा अधिकार दे दिया गया है। इस फैसले से जमीन के में आ रही बाधाएं दूर होने की उम्मीद है, खासकर उन जिलों में जहां रोक सूची की वजह से लोग लंबे समय से परेशान हैं। मंगलवार को उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव अजय यादव ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया, जिसमें सभी जिलों के डीएम को इस नए नियम का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
रोक सूची क्या है।
रोक सूची, जैसा कि नाम से ही जाहिर है, वह सरकारी रजिस्टर है जिसमें कुछ खास खेसरा नंबरों की जमीन का निबंधन रोक दिया जाता है। इसका मकसद कई बार जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाना, अवैध कब्जे को रोकना या सरकारी परियोजनाओं के लिए जमीन को सुरक्षित रखना होता है। लेकिन कई मामलों में यह सूची लोगों के लिए सिरदर्द बन जाती है। बिहार के कई जिलों में, खासकर मुजफ्फरपुर जैसे इलाकों में, रोक सूची में दर्ज खेसरा नंबरों की संख्या लाखों में है। मुजफ्फरपुर में ही करीब एक लाख खेसरा इस सूची में शामिल हैं, जिसकी वजह से लोग अपनी जमीन का निबंधन नहीं कर पा रहे हैं।
जमीन का निबंधन रुकने का मतलब है कि लोग अपनी जमीन को खरीद-बेच नहीं सकते, न ही उसका उपयोग बैंक लोन या अन्य कानूनी कामों के लिए कर सकते हैं। कई बार तो ऐसी स्थिति बन जाती है कि जमीन का हक होने के बावजूद लोग अपनी जमीन का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते। निबंधन कार्यालयों में लंबी कतारें, बार-बार चक्कर लगाना और काम न होने की शिकायतें आम हो चुकी हैं। ऐसे में बिहार सरकार का यह फैसला लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
डीएम को अधिकार: कैसे बदलेगी तस्वीर?
नए नियम के तहत अब डीएम को रोक सूची की समीक्षा करने और उसमें जरूरी बदलाव करने का पूरा अधिकार होगा। अगर कोई खेसरा गलती से रोक सूची में शामिल हो गया है या उसकी रोक हटाने की जरूरत है, तो डीएम इस पर फैसला ले सकेंगे। इसके अलावा, अगर कोई नया खेसरा इस सूची में जोड़ना हो, तो वह भी डीएम के आदेश पर हो सकेगा।
उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव अजय यादव ने अपने पत्र में साफ किया है कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य जमीन के निबंधन की प्रक्रिया को आसान बनाना और लोगों की परेशानियों को कम करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी डीएम को इस बारे में जानकारी दे दी गई है और उन्हें नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा गया है।
मुजफ्फरपुर में सबसे ज्यादा असर
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रोक सूची की समस्या सबसे गंभीर है। यहां करीब एक लाख खेसरा इस सूची में दर्ज हैं, जिसकी वजह से हजारों लोग अपनी जमीन का निबंधन नहीं कर पा रहे हैं। मुजफ्फरपुर के स्थानीय निवासी राकेश कुमार ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, "मेरी जमीन का निबंधन पिछले डेढ़ साल से रुका हुआ था। हर बार निबंधन कार्यालय में यही जवाब मिलता था कि आपकी जमीन रोक सूची में है। अब सरकार ने डीएम को यह अधिकार दिया है, तो उम्मीद है कि हमारी परेशानी जल्द खत्म होगी।"
मुजफ्फरपुर के अलावा, बिहार के कई अन्य जिलों जैसे पटना, गया, भागलपुर और दरभंगा में भी रोक सूची की वजह से लोग परेशान हैं। हालांकि, इन जिलों में खेसरा नंबरों की संख्या मुजफ्फरपुर जितनी ज्यादा नहीं है, लेकिन फिर भी यह समस्या लोगों के लिए एक बड़ा सिरदर्द बनी हुई है।
लोगों में जगी उम्मीदें
बिहार सरकार के इस फैसले का लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया है। जमीन से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और तेजी की कमी की शिकायतें लंबे समय से चली आ रही थीं। अब डीएम को यह अधिकार मिलने से लोगों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द होगा।
पटना के एक प्रॉपर्टी डीलर सुनील शर्मा ने कहा, "रोक सूची की वजह से कई बार जमीन की खरीद-बिक्री रुक जाती थी। ग्राहक परेशान हो जाते थे और हमारा भी नुकसान होता था। अब डीएम के पास यह अधिकार आने से प्रक्रिया में तेजी आएगी और कारोबार को भी बढ़ावा मिलेगा।"
वहीं, जमीन के निबंधन से जुड़े एक वकील राजेश मिश्रा ने बताया कि कई बार रोक सूची में शामिल खेसरा नंबरों का कोई ठोस कारण नहीं होता। "कई मामलों में पुराने विवादों या प्रशासन की गलतियों की वजह से खेसरा रोक सूची में डाल दिया जाता है। अब डीएम इसकी समीक्षा करेंगे, तो ऐसे मामले आसानी से सुलझ सकेंगे।