उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में पिछले 48 घंटों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारी बारिश के कारण क्षेत्र की प्रमुख सड़कें, कपकोट-कर्मी और कपकोट-पिंडारी मोटर मार्ग, मलबे और भूस्खलन(Land Slide) के कारण पूरी तरह बंद हो गए हैं। इससे न केवल स्थानीय लोगों की आवाजाही प्रभावित हुई है, बल्कि कई गांवों का संपर्क भी मुख्य क्षेत्रों से कट गया है। बागेश्वर नगर में बारिश का पानी घरों में घुस गया, जिससे बिजली और संचार सेवाएं रुक गई हैं। सरयू नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ने से श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आए लोग शवों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने को मजबूर हुए। यह प्राकृतिक आपदा न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
बारिश ने मचाया तांडव
कपकोट क्षेत्र में भारी बारिश का असर सबसे ज्यादा सड़कों पर देखने को मिला है। कपकोट-कर्मी और कपकोट-पिंडारी मोटर मार्ग, जो इस क्षेत्र की जीवनरेखा माने जाते हैं, भूस्खलन और मलबे के कारण पूरी तरह बंद हो गए हैं। इन सड़कों पर जगह-जगह बड़े-बड़े पत्थर और मिट्टी का ढेर जमा हो गया है, जिससे यातायात पूरी तरह ठप है। स्थानीय निवासी रमेश सिंह ने बताया, "हमारा गांव अब बाकी दुनिया से कट गया है। सड़कें बंद होने से न तो हम बाजार जा पा रहे हैं और न ही कोई जरूरी सामान ला पा रहे हैं।"
कई गांवों में खाद्य सामग्री और दवाइयों की कमी की खबरें भी सामने आ रही हैं। कपकोट से पिंडारी ग्लेशियर तक जाने वाला रास्ता पर्यटकों के लिए भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इस समय यह मार्ग पूरी तरह बंद है। इससे पर्यटन उद्योग पर भी बुरा असर पड़ रहा है। स्थानीय गाइड हरीश जोशी ने कहा, "यह मौसम पर्यटकों के लिए अच्छा होता है, लेकिन बारिश ने सब कुछ चौपट कर दिया। कई बुकिंग्स रद्द हो गई हैं, और हमें भारी नुकसान हो रहा है।"
घरों में घुसा पानी, बिजली ठप
बागेश्वर नगर में स्थिति और भी गंभीर है। लगातार बारिश के कारण निचले इलाकों में पानी भर गया है। कई घरों में पानी घुटनों तक पहुंच गया, जिससे लोगों का सामान, जैसे कपड़े, बर्तन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, खराब हो गए। स्थानीय निवासी ममता देवी ने दुखी मन से बताया, "हमारा घर पानी से भर गया है। बच्चों के स्कूल की किताबें, बिस्तर, सब कुछ भीग गया। अब हम क्या करें, समझ नहीं आ रहा।"
बारिश के कारण बिजली की लाइनें भी खराब हो गई हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में बिजली ठप है। टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित हैं, जिससे लोग अपनों से संपर्क नहीं कर पा रहे। एक दुकानदार प्रकाश चंद्र ने कहा, "मोबाइल नेटवर्क काम नहीं कर रहा। हमें बाहर की खबरें नहीं मिल रही हैं। बिजली न होने से रात में अंधेरा छा जाता है।"
सरयू नदी उफान पर, अंतिम संस्कार में बाधा
सबसे दुखद स्थिति सरयू नदी के किनारे बनी हुई है। भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। श्मशान घाट, जो नदी के किनारे स्थित है, पूरी तरह पानी में डूब गया है। अंतिम संस्कार के लिए आए लोग इस स्थिति से भयभीत हो गए। कई लोगों को शवों को छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। एक स्थानीय निवासी गोविंद राम ने बताया, "हम अपने रिश्तेदार का अंतिम संस्कार करने आए थे, लेकिन नदी का पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि हमें वहां से भागना पड़ा। यह बहुत ही दुखद और डरावना है।
प्रशासन की कोशिशें और चुनौतियां
जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं, लेकिन लगातार बारिश और सड़कों के बंद होने से इन कार्यों में भारी बाधा आ रही है। आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन मलबे और भूस्खलन ने रास्तों को खराब कर रखा है। जिला मजिस्ट्रेट अनुराधा पाल ने बताया, "हमारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं। हमने प्रभावित लोगों के लिए अस्थायी स्थल बनाए हैं और खाद्य सामग्री वितरित की जा रही है। लेकिन बारिश रुकने तक पूरी तरह से स्थिति नियंत्रित करना मुश्किल है।"
प्रशासन ने लोगों से नदी किनारे न जाने और ऊंचे स्थानों पर रहने की अपील की है। इसके साथ ही, आपातकालीन नंबर जारी किए गए हैं, ताकि लोग जरूरत पड़ने पर मदद मांग सकें।