भारत ने हाल ही में हुए एयर इंडिया विमान दुर्घटना की जांच में संयुक्त राष्ट्र (UN) के विमानन विशेषज्ञ की भागीदारी को अस्वीकार कर दिया है। यह जानकारी दो वरिष्ठ सूत्रों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दी। यह फैसला उस समय लिया गया जब संयुक्त राष्ट्र की विमानन एजेंसी, इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO), ने अहमदाबाद में 12 जून को हुई इस दुखद दुर्घटना की जांच में सहायता के लिए अपने एक विशेषज्ञ को भेजने की पेशकश की थी। इस हादसे में 260 लोगों की जान गई थी, जो पिछले एक दशक में दुनिया की सबसे घातक विमानन दुर्घटनाओं में से एक है।

दुर्घटना का विवरण

12 जून 2025 को, एयर इंडिया का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, फ्लाइट नंबर AI171, अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने के मात्र 36 सेकंड बाद मेघानी नगर के एक घनी आबादी वाले इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे, जिनमें से केवल एक यात्री, ब्रिटिश नागरिक विश्वासकुमार रमेश, जीवित बचे। इसके अलावा, जमीन पर मौजूद 33 लोगों की भी इस हादसे में मृत्यु हो गई। यह भारत में हाल के दशकों में सबसे भयावह विमानन हादसों में से एक है।


जांच में प्रगति (जारी)

जांच में शामिल विशेषज्ञ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि विमान के उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद ही यह हादसा क्यों हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लैक बॉक्स से प्राप्त डेटा, जैसे कि उड़ान की गति, ऊंचाई, इंजन की स्थिति और पायलटों की बातचीत, इस हादसे के कारणों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, दुर्घटना स्थल से मिले मलबे, जैसे इंजन के टरबाइन ब्लेड और अन्य हिस्सों की जांच भी की जा रही है। पीटर गोएल्ज़, जो अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड के पूर्व प्रबंध निदेशक हैं, ने बताया कि इंजन के मलबे से यह पता चल सकता है कि हादसे के समय इंजन पूरी शक्ति से काम कर रहे थे या नहीं। यह शुरुआती सुराग हो सकता है कि आखिर गड़बड़ी कहां हुई।

जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या विमान के फ्लाइट मैनेजमेंट कंट्रोल सिस्टम में कोई खराबी थी, जो बोइंग 787 जैसे अत्याधुनिक विमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अगर इस सिस्टम में कोई समस्या पाई गई, तो यह न केवल बोइंग, बल्कि पूरे विमानन उद्योग के लिए गंभीर चिंता का विषय हो सकता है। इसके अलावा, जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या पायलटों की ट्रेनिंग, विमान का कुल वजन, या पहले से दर्ज की गई कोई तकनीकी खराबी इस हादसे का कारण बनी


UN विशेषज्ञ की भागीदारी क्यों नहीं?

ICAO ने इस जांच में अपने एक विशेषज्ञ को पर्यवेक्षक के रूप में शामिल करने की पेशकश की थी, जो पहले मलेशियाई विमान (2014) और यूक्रेनी जेटलाइनर (2020) जैसे मामलों में सहायता के लिए भेजे गए थे। हालांकि, उन मामलों में मेजबान देशों ने स्वयं सहायता मांगी थी, जबकि इस बार भारत ने स्वतंत्र रूप से जांच करने का फैसला किया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत ने इस पेशकश को ठुकरा दिया, क्योंकि वह इस जांच को पूरी तरह से अपने संसाधनों और विशेषज्ञता के दम पर करना चाहता है।

कुछ विशेषज्ञों ने जांच में पारदर्शिता और ब्लैक बॉक्स डेटा के विश्लेषण में देरी को लेकर सवाल उठाए हैं। उदाहरण के लिए, यह तय नहीं हो सका था कि ब्लैक बॉक्स का डेटा भारत में विश्लेषित किया जाएगा या अमेरिका भेजा जाएगा, जहां एनटीएसबी भी जांच में शामिल है। भारत ने हाल ही में दिल्ली में एक नया डीएफडीआर और सीवीआर लैब शुरू किया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह बोइंग 787 जैसे विमान के डेटा को पूरी तरह से पढ़ने के लिए तैयार है या नहीं।


सुरक्षा उपाय और भविष्य के कदम

इस हादसे के बाद, भारत के नागरिक उड्डयन नियामक, डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए), ने एयर इंडिया के बोइंग 787 फ्लीट की अतिरिक्त सुरक्षा जांच के आदेश दिए। अब तक 33 में से 26 विमानों की जांच पूरी हो चुकी है, और कोई बड़ी सुरक्षा चिंता सामने नहीं आई है। इसके अलावा, एयर इंडिया ने अपने बोइंग 777 फ्लीट की भी गहन जांच शुरू कर दी है।

टाटा ग्रुप, जो एयर इंडिया का मालिक है, ने जांच में पूर्ण सहयोग का वादा किया है। टाटा के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि इस हादसे को एक प्रेरणा के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए ताकि एयर इंडिया को और सुरक्षित बनाया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान के एक इंजन को हाल ही में बदला गया था और दोनों इंजनों का इतिहास "साफ" था