आज से ठीक 50 साल पहले, 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में एक ऐसा अध्याय लिखा गया, जिसे आज भी लोग 'लोकतंत्र का सबसे काला दिन' कहते हैं। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जिसने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को हिलाकर रख दिया। इस मौके पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को 'संविधान हत्या दिवस' करार देते हुए इसे भारत के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे दुखद दौर बताया।


प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा, "25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल भारत के लोकतंत्र पर एक गहरा धब्बा है। यह वह समय था जब देश के लोगों की आजादी छीन ली गई, संविधान को कुचलने की कोशिश की गई और स्वतंत्रता को दबाया गया। लेकिन उस दौर में भी लाखों लोगों ने हार नहीं मानी और लोकतंत्र की रक्षा के लिए डटकर मुकाबला किया।"


क्या था आपातकाल?

1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की थी। इस दौरान लोगों के बुनियादी अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की आजादी पर पाबंदी लगी और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। करीब 21 महीने तक चला। पीएम मोदी ने कहा, "यह वह समय था जब लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की गई, लेकिन देशवासियों ने हिम्मत नहीं हारी।"


आपातकाल: क्या हुआ था 50 साल पहले?

1975 में इंदिरा गांधी सरकार ने आपातकाल की घोषणा की थी, जिसके तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। प्रेस पर सेंसरशिप लागू हुई, विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया और सरकार के खिलाफ बोलने वालों पर सख्त कार्रवाई की गई। इस दौरान देश में करीब 21 महीने तक आपातकाल रहा, जिसने भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को गहरी चोट पहुंचाई।

पीएम मोदी ने उन सभी लोगों को याद किया, जिन्होंने उस दौर में जेलों में यातनाएं सहीं, लेकिन लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपनी आवाज बुलंद रखी। उन्होंने कहा, "उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को मेरा नमन, जिनके साहस और संघर्ष ने तत्कालीन सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया। उनकी वजह से ही 1977 में लोकतंत्र की जीत हुई और देश में फिर से चुनाव हुए।"


आपातकाल का सबक: लोकतंत्र की ताकत

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि आपातकाल का दौर हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र कितना कीमती है। उन्होंने कहा, "हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए हमें हमेशा सजग रहना होगा। यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करें।"

उन्होंने युवा पीढ़ी से अपील की कि वे आपातकाल के इतिहास को पढ़ें और समझें कि कैसे आम लोगों के संघर्ष ने देश को एक नई दिशा दी। पीएम ने कहा, "आज का भारत उस दौर की गलतियों से सबक लेकर और मजबूत हुआ है। हमारा लोकतंत्र आज दुनिया में एक मिसाल है।"


विपक्ष पर भी साधा निशाना

पीएम मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपातकाल जैसी घटनाएं हमें सिखाती हैं कि सत्ता का दुरुपयोग कितना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा, "जो लोग आज लोकतंत्र की बात करते हैं, उन्हें उस दौर को याद करना चाहिए जब उनके ही नेताओं ने देश की आत्मा को कुचलने की कोशिश की थी।

आज 50 साल बाद भी आपातकाल की चर्चा इसलिए जरूरी है क्योंकि यह हमें हमारे अधिकारों और जिम्मेदारियों का अहसास दिलाती है। देशभर में इस मौके पर कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां लोगों ने आपातकाल के खिलाफ लड़ने वालों को याद किया और लोकतंत्र की मजबूती का संकल्प लिया।
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर पीएम मोदी का यह संदेश न केवल उस दौर की याद दिलाता है, बल्कि यह भी बताता है कि भारत का लोकतंत्र कितना लचीला और मजबूत है। यह हमें सिखाता है कि एकजुट होकर हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।