शुक्रवार की सुबह मध्य पूर्व में एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई है, जब इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान पर हवाई हमले किए। इजरायली सेना ने इस हमले की जानकारी देते हुए कहा कि यह कार्रवाई ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए की गई। दूसरी ओर, ईरानी मीडिया ने बताया कि तेहरान के उत्तर-पूर्वी हिस्से में जोरदार विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं, जिसके बाद शहर में हड़कंप मच गया।
जरायल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह हमला ईरान द्वारा हाल के महीनों में किए गए मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में है। इजरायली सेना (IDF) ने दावा किया कि उनके लड़ाकू विमानों ने तेहरान समेत ईरान के कई इलाकों में सैन्य और परमाणु ठिकानों पर सटीक हमले किए। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे "ऑपरेशन राइजिंग लायन" का नाम देते हुए कहा, "हम ईरान को परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देंगे। यह हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी कदम था।"
ईरान के सरकारी समाचार पत्र नूर न्यूज ने पुष्टि की कि शुक्रवार सुबह तेहरान के आसपास कई जगहों पर धमाके हुए। स्थानीय लोगों ने बताया कि विस्फोटों की आवाज इतनी तेज थी कि कई घरों के शीशे तक हिल गए। ईरानी सेना ने तुरंत अपनी वायु रक्षा सेना को एक्टिव कर दिया, लेकिन शुरुआती जानकारी के मुताबिक, कुछ सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, ईरान ने अभी तक नुकसान की पूरी जानकारी साझा नहीं की है।
अमेरिका की भूमिका पर सवाल
हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव और भी गहरा गया है। कुछ खबरों में दावा किया गया कि इजरायली विमानों ने इराकी हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया, जो अमेरिका के नियंत्रण में है। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या इस हमले में अमेरिका का भी कोई हाथ है। हालांकि, दो अमेरिकी अधिकारियों ने साफ किया कि इस हमले में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले कहा था कि वह ईरान के साथ शांति समझौता चाहते हैं, लेकिन इजरायल का यह कदम उनके रुख से अलग दिख रहा है।
ईरान के जवाब का इंतजार
ईरानी अधिकारियों ने अभी तक इस हमले पर आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान इस हमले का जवाब दे सकता है। तेहरान में उच्च-स्तरीय बैठकों का दौर शुरू हो गया है, और माना जा रहा है कि ईरान जवाबी कार्रवाई की रणनीति बना रहा है। पिछले साल भी ईरान ने इजरायल पर मिसाइल हमले किए थे, जिसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया था।
मध्य पूर्व में युद्ध का खतरा
यह हमला ऐसे समय में हुआ है, जब मध्य पूर्व पहले से ही अस्थिर स्थिति से गुजर रहा है। गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष और सीरिया-लेबनान में तनाव ने क्षेत्र को बारूद के ढेर पर ला खड़ा किया है। विश्लेषकों का कहना है कि अगर ईरान इस हमले का जवाब देता है, तो यह एक बड़े क्षेत्रीय युद्ध का कारण बन सकता है। सऊदी अरब ने इस हमले की निंदा करते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
वैश्विक चिंता बढ़ी
इजरायल के इस हमले ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। तेल की कीमतों में उछाल की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि मध्य पूर्व तेल आपूर्ति का एक बड़ा केंद्र है। भारत जैसे देश, जो तेल आयात पर निर्भर हैं, इस स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि सरकार क्षेत्र में रह रहे भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है।
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इजरायल ने हमले के बाद अपने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी है, क्योंकि उसे ईरान से जवाबी हमले की आशंका है। दूसरी ओर, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने पहले ही चेतावनी दी थी कि इजरायल की किसी भी आक्रामकता का कड़ा जवाब दिया जाएगा। अब पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि क्या यह तनाव और बढ़ेगा या कूटनीति के जरिए इसे कम किया जा सकेगा।
फिलहाल, मध्य पूर्व में हालात बेहद नाजुक हैं, और अगले कुछ दिन इस क्षेत्र के भविष्य के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।