इजरायल और ईरान के बीच चल रही जंग का आज नौवां दिन है। दोनों देशों के बीच मिसाइल हमले और हवाई कार्रवाइयां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। इस बीच, शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक बैठक में एक बड़े अमेरिकी राजनयिक के बयान ने सबको चौंका दिया। राजनयिक ने गलती से इस जंग के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहरा दिया, जिसके बाद वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। हालांकि, उन्होंने तुरंत अपनी गलती सुधार ली और स्थिति को संभाला।
जंग का माहौल और बढ़ा तनाव
पिछले नौ दिनों से इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर कई हवाई हमले किए हैं, जिनमें तेहरान, इस्फहान और फोर्डो जैसे इलाकों को निशाना बनाया गया। दूसरी ओर, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई में इजरायल के तेल अवीव और हाइफा जैसे शहरों पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। दोनों देशों के हमलों में अब तक सैकड़ों लोग मारे गए हैं, जिनमें आम नागरिक, सैन्य कमांडर और वैज्ञानिक शामिल हैं।
ईरान के विदेश मंत्रालय ने इजरायल के हमलों को 'युद्ध की घोषणा' करार दिया है और संयुक्त राष्ट्र से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने UNSC को पत्र लिखकर कहा कि इजरायल ने 'सारी हदें पार कर दी हैं' और इसके लिए उसे पछताना पड़ेगा। वहीं, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम उनके देश के लिए बड़ा खतरा है, और वे इसे खत्म करने के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।
अमेरिकी राजनयिक की चूक
शुक्रवार को न्यूयॉर्क में हुई UNSC की बैठक में Middle East के हालात पर चर्चा हो रही थी। इस दौरान एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने अपने बयान में गलती से इजरायल को इस जंग का जिम्मेदार बता दिया। सूत्रों के मुताबिक, राजनयिक ने कहा कि इजरायल की आक्रामक कार्रवाइयों ने क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ाई है। इस बयान के बाद बैठक में सन्नाटा छा गया, क्योंकि अमेरिका लंबे समय से इजरायल का करीबी सहयोगी रहा है।
हालांकि, राजनयिक ने तुरंत अपनी गलती सुधारी और स्पष्ट किया कि उनका मतलब दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करना था। उन्होंने कहा, "मेरा इरादा गलत बयान देने का नहीं था। हम दोनों देशों से तनाव कम करने और शांति चाहते है।
बयान का असर
अमेरिकी राजनयिक की इस चूक का असर UNSC की बैठक में साफ दिखा। कई देशों के प्रतिनिधियों ने इस बयान पर आश्चर्य जताया, क्योंकि अमेरिका ने पहले इजरायल के हमलों को आत्मरक्षा का कदम बताया था। कुछ लोगों का कहना है कि इस गलती ने इजरायल के साथ अमेरिका के रिश्तों पर सवाल उठाए हैं। हालांकि, व्हाइट हाउस ने बाद में बयान जारी कर अपनी बयान को सही किया।
देश के हालात
इस जंग को लेकर दुनिया भर के देशों की राय अलग-अलग हैं। सऊदी अरब, पाकिस्तान और कई अरब देशों ने इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की है, जबकि अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश इजरायल के समर्थन में हैं। G7 देशों ने एक अस्पष्ट बयान में Middle East में शांति की अपील की है। इस बीच, भारत ने अपने नागरिकों को ईरान और इजरायल की यात्रा न करने की सलाह दी है और वहां फंसे भारतीयों को निकालने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जंग के नौवें दिन भी दोनों देशों के बीच कोई समझौता होने के आसार नहीं दिख रहे। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई ने कहा है कि वे सरेंडर नहीं करेंगे, जबकि इजरायल ने अपने हमले और तेज करने के संकेत दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि वह अगले दो हफ्तों में इस मामले में बड़ा फैसला लेंगे।
फिलहाल, पूरी दुनिया की नजर इस क्षेत्र पर टिकी है, जहां हर पल हालात बदल रहे हैं। क्या यह जंग जल्द थमेगी, या और भयानक रूप लेगी? यह सवाल हर किसी के मन में है।