केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए घोषणा की है कि साल 2026 से कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षाएं अब साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। यह कदम छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान करने और परीक्षा के दबाव को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस बदलाव से लाखों छात्रों और उनके अभिभावकों को राहत मिलने की उम्मीद है।


क्या है नया बदलाव?

10 की बोर्ड परीक्षाएं अब दो चरणों में होंगी। पहली परीक्षा फरवरी-मार्च में आयोजित होगी, जबकि दूसरी मई-जून में होगी। दोनों परीक्षाओं का पाठ्यक्रम और पैटर्न एकसमान होगा, और छात्रों को अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए बेहतर अंक वाली परीक्षा का स्कोर चुनने का विकल्प मिलेगा। इसका मतलब है कि अगर कोई छात्र पहली बार में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता, तो उसे दूसरी बार में अपने अंकों को सुधारने का मौका मिलेगा।

क्यों जरूरी था यह बदलाव?

पिछले कुछ सालों में, बोर्ड परीक्षाओं के दौरान छात्रों पर पड़ने वाले मानसिक दबाव को लेकर कई सवाल उठे हैं। सीबीएसई के इस फैसले को शिक्षा विशेषज्ञों ने एक प्रगतिशील कदम बताया है। बोर्ड का कहना है कि यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत लचीलापन और छात्र-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में उठाया गया कदम है।

 सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हमारा उद्देश्य छात्रों को एक ऐसा माहौल देना है, जहां वे बिना तनाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। साल में दो बार परीक्षा होने से छात्रों को अपनी तैयारी को बेहतर करने का मौका मिलेगा।"


छात्रों और शिक्षकों की प्रतिक्रिया

इस घोषणा के बाद छात्रों और शिक्षकों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। दिल्ली के एक सरकारी स्कूल की 10वीं कक्षा की छात्रा प्रिया शर्मा ने कहा, "यह बहुत अच्छा फैसला है। अगर मैं पहली बार में अच्छे नंबर नहीं ला पाई, तो दूसरी बार मेहनत करके बेहतर कर सकती हूँ। इससे डर कम होगा।"

वहीं, कुछ शिक्षकों का मानना है कि इस बदलाव से स्कूलों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ सकता है। नोएडा के एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल रमेश कुमार ने कहा, "यह विचार तो अच्छा है, लेकिन स्कूलों को दो बार परीक्षा आयोजित करने के लिए और संसाधनों की जरूरत होगी। शिक्षकों को भी अतिरिक्त जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी।"

सीबीएसई ने यह भी स्पष्ट किया है कि बोर्ड परीक्षा के पैटर्न में भी कुछ बदलाव किए जा सकते हैं, ताकि रटने की स्थिति को कम किया जाए और समझ-आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिले। इसके अलावा, डिजिटल मूल्यांकन और ऑनलाइन संसाधनों का उपयोग भी बढ़ाया जाएगा।


अभिभावकों के लिए राहत

इस फैसले से अभिभावकों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। दिल्ली की एक अभिभावक, रीना गुप्ता, ने कहा, "बच्चों पर बोर्ड परीक्षा का बहुत दबाव रहता है। अगर एक बार में गलती हो जाए, तो पूरा साल बर्बाद होने का डर रहता था। अब दूसरा मौका मिलने से बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।"

सीबीएसई ने संकेत दिए हैं कि अगर यह प्रयोग कक्षा 10 में सफल रहता है, तो इसे कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं के लिए भी लागू किया जा सकता है। बोर्ड ने यह भी कहा कि वह स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों से फीडबैक लेगा ताकि इस नई व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सके।

सीबीएसई का यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में है। साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का फैसला न केवल छात्रों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह शिक्षा प्रणाली को और लचीला और आसान बनाएगा।